8 नवंबर को नोटबंदी को एक साल पूरा हो रहा है। इसे लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सरकार को निशाना बनाना जारी है। इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी पर कड़ा हमला बोला है।
गुजरात के अहमदाबाद में बोलते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, 'मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा।'
I can proudly say that we lifted 140 million people out of poverty: Manmohan Singh pic.twitter.com/fPmlN8FgDk
— ANI (@ANI) November 7, 2017
उन्होंने 'टैक्स टेररिज्म' शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि इससे भारत के व्यापार में निवेश को लेकर विश्वास कम हुआ है।
The fear of tax terrorism has eroded the confidence of Indian business to invest: Manmohan Singh pic.twitter.com/YyzUurHaDk
— ANI (@ANI) November 7, 2017
मनमोहन सिंह ने कहा कि हर किसी को देशद्रोही करार देना लोकतांत्रिक विमर्श को नुकसान पहुंचा रहा है।
This attitude of suspecting everyone to be thief or anti-national, low level rhetoric is damaging to democratic discourse: Manmohan Singh pic.twitter.com/cI1LeAOaUu
— ANI (@ANI) November 7, 2017
बुलेट ट्रेन की ज्यादा लागत पर निशाना साधते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री ने ब्रॉड गेज की लाइन को अपग्रेड करके हाई स्पीड ट्रेन के विकल्प के बारे में सोचा? उन्होंने कहा कि क्या बुलेट ट्रेन पर सवाल उठाने वाला विकास विरोधी हो जाता है? क्या नोटबंदी और जीएसटी पर सवाल उठाने वाला टैक्स चुराने वाला बन जाता है?
Did PM consider alternative of the high speed train by upgrading broad gauge railway?: PM Manmohan Singh in Ahmedabad, #Gujarat pic.twitter.com/qhgGag8FQS
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By questioning bullet trains does one become anti-development? Does questioning GST & Demonetisation make one a tax evader?: Manmohan Singh pic.twitter.com/SgYIWiYIBd
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8 नवंबर को काला दिन बताते हुए उन्होंने नोटबंदी पर कहा, 'मैं संसद में कही गई अपनी बात को दोहराता हूं कि यह एक संगठित लूट थी।'
I repeat what I said in the parliament, this was organised loot & legalized plunder: Manmohan Singh #Demonetisation pic.twitter.com/AZY56cy8Pl
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इससे पहले भी सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने नोटबंदी को कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी करार देते हुए कहा था कि इससे देश में असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे देश में यह सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति साबित होगी।
एक वेबसाइट के साथ बातचीत में मनमोहन सिंह ने कहा था कि जीडीपी का गिरना महज एक संकेत है, यह एक विनाशकारी नीति साबित होने जा रही है। इसके चलते कई तरह की क्षतियां हुई हैं। इसका असर नौकरियों पर पड़ा है और छोटे-मझोले उद्योंगो को इससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा, “मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर चिंतित हूं। भले ही जीडीपी में गिरावट के बाद सुधार दिख रहा हो लेकिन आर्थिक विकास के लिए यह बढ़ती असामनता एक खतरा है।”