पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सच्चर ने 14 साल पूराने गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में आज आए फैसले को प्रधानमंत्री पर धब्बा बताया क्योंकि क्योंकि उस कांड के समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जस्टिस सच्चर ने एक बयान में हिंदू उग्रराष्ट्रवादियों के सांप्रदायिक तौर-तरीके की भी निंदा की जो गुजरात में मुस्लिम परिवारों के घर गिराए जाने के बाद उन विस्थापित परिवारों के दूसरे इलाके में जाने का विरोध कर रहे हैं। एक राष्ट्रीय अखबार की खबर के अनुसार वड़ोदरा के पास कपूराई इलाके के निवासियों ने वड़ोदरा नगर निगम को पत्र लिख सुलेमान चॉल में घर गिराए जाने के बाद वहां के लोगों को उनके इलाके में बसाए जाने का विरोध किया है। करीब 300 विस्थापित परिवारों में अधिकतर मुसलमान हैं। खबर के अनुसार पत्र में लिखा गया है कि मुसलमानों को उनके इलाकों में आने की अनुमति देने से यहां शांति प्रिय माहौल प्रभावित होगा क्योंकि उनकी रोजाना की गतिविधियों में मारपीट और गाली-गलौज शामिल है।
पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में आज फैसला सुनाते हुए विशेष एसआईटी अदालत ने मामले के 24 आरोपियों को दोषी करार दिया जबकि 36 आरोपियों को बरी कर दिया। साथ ही अदालत ने सभी आरोपियों पर लगाए गए साजिश के आरोप भी खारिज कर दिए। विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पी बी देसाई ने दोषी करार दिए गए 24 आरोपियों में से 11 को हत्या का कसूरवार ठहराया जबकि बाकी को अन्य आरोपों में दोषी करार दिया। कुल 66 आरोपियों में से छह की मौत सुनवाई के दौरान हो चुकी है। गौरतलब है कि गुजरात के बहुचर्चित गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे।