हिंदू स्वयंसेवक संघ के 50 साल पूरे होने पर इस सेमिनार का आयोजन किया गया था। स्वर्ण जयंती आयोजनों के सिलसिले में भागवत को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। सरसंघचालक ने कहा कि हमें किसी की पहचान से कोई समस्या नहीं है। हम समन्वित समाज, मानवता और ब्रह्माांड के तौर पर रह सकते हैं।
विश्व में जहां कहीं भी हिंदू रहते हैं, वहां इस तरह का विचार देखा जा सकता है। हिंदुओं का विश्वास है कि विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए। अथर्ववेद की ऋचाओं को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही विविधता में एकता हिंदू समाज की मुख्य धारणा रही है।
अतीत की कड़वाहट के बावजूद हम किसी के साथ विदेशियों जैसा व्यवहार नहीं करते हैं। सिर्फ राजनीति के चलते इसमें कुछ बाधा आती है, लेकिन यह क्षणिक होता है। हम बहुत जल्द सामान्य हो जाते हैं, क्योंकि यह हमारे खून में है। भाषा एजेंसी