Advertisement

कलाकारों से दुश्मनी के राग

पाकिस्तान के छद्म युद्ध के प्रयास 70 वर्षों से चलते रहे हैं। 1965 और 1971 में तो उसे सीधे युद्ध में भारी पराजय का सामना करना पड़ा। कारगिल की घुसपैठ भी उसे महंगी पड़ी।
कलाकारों से दुश्मनी के राग

लेकिन पिछले सात दशकों में भारत-पाकिस्तान की आम जनता के बीच संवाद-संपर्क बढ़ता ही रहा। बीच-बीच के कुछ महीनों को अपवाद कहा जा सकता है। लेकिन भारत-पाकिस्तान के कलाकारों ने दिल-दिमाग को कभी अलग नहीं होने दिया। आतंकवादी हमलों के बीच पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान एक टी.वी. चैनल ‘जिंदगी’ और बालीवुड के बड़े फिल्म निर्माताओं की फिल्मों में भारत-पाक कलाकारों की जोड़ियों के अभिनय, संगीत-नृत्य ने दोनों ओर नई मिठास घोल दी थी। यही कारण है कि उड़ी के सैन्य शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी भारतीय कलाकारों के साथ बनी नई फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक, कलाकारों को तत्काल देश निकाला के गैर सरकारी कदमों से दोनों ओर के कलाकार ही नहीं करोड़ों सिने प्रेमी भी स्तब्‍ध हैं। कुछ बड़े संवेदनशील फिल्म निर्माता अब यह तक कहने लगे हैं कि पाक कलाकारों के कारण भारतीयों को नुकसान हो रहा है। काम नहीं मिलने से उनकी रोटी कट रही है। दूसरी तरफ बालीवुड के नामी अभिनेता, अभिनेत्री, निर्माता-निर्देशक इस तरह के प्रतिबंधात्मक कदमों को अनुचित ठहरा रहे हैं। उनके तर्कों में राष्ट्रभक्ति के साथ दम भी है। उनका यह मानना सही है कि आखिरकार भारतीय गीत-संगीत, फिल्में, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों में बसे करोड़ों लोगों को भा रहा है। पाकिस्तान एक जमाने में थिएटर-ड्रामा में मशहूर रहा, लेकिन उसका ‘फिल्म निर्माण’, गीत-संगीत तो भारत से बहुत कमजोर एवं पिछड़ा है। पाकिस्तान में भारत के कलाकार बेहद लोकप्रिय हैं। आखिरकार वहां से भी करोड़ों रुपयों की कमाई होती है। ‘जिंदगी’ टी.वी.-चैनेल में पाक कलाकारों के अभिनय ने भी करोड़ों भारतीय परिवारों को प्रभावित किया। दोनों तरफ से कलाकार गीत, गजल, संगीत, शो लेकर आते-जाते रहे हैं। असल में आतंकवाद का असली जवाब पाक जनता को अपनी ओर जोड़कर सिरफिरे आतंकवादियों एवं उनके सत्ताधारी आकाओं को पराजित करना है। यह भी मत भूलिये कि युद्ध-घुसपैठ के समय पाक उच्चायोग के अधिकांश राजनयिकों को स्वदेश जाना पड़ा था। इस समय तो भारत सरकार ने ऐसी कूटनीतिक कार्रवाई भी नहीं की। इसी तरह कलाकारों के वीजा रद्द नहीं किए, न ही फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया। इसलिए गांधी के देश में ‘अखंड-भारत’ का सपना देखने वालों को ‘कला’ के लिए रास्ते खुले रखने चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad