सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को राजनीतिक दलों में अहम पद दिए जाने पर प्रश्नचिह्न लगाया है।
अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द हिंदू’ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से कहा, आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जा चुका और सजायाफ्ता शख्स कैसे किसी राजनीतिक दल का प्रमुख बन सकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि जो खुद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो चुका है, वह कैसे उम्मीदवार चुन सकता है? कोर्ट ने कहा कि एक शख्स जो सीधे तौर पर चुनाव नहीं लड़ सकता है, लोगों को जुटाकर एक राजनीतिक दल बना लेता है और चुनाव लड़ जाता है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसे चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता के लिए बड़ा झटका बताया है। उन्होंने कहा, ‘कोई दोषी व्यक्ति किसी दल में पदाधिकारी कैसे हो सकता है और कैसे चुनाव लड़ने के लिए लोगों का चयन कर सकता है? यह हमारे (पहले के) फैसले के भी खिलाफ है कि राजनीतिक दलों में भ्रष्टाचार को इजाजत देना चुनावी शुद्धता बनाए रखने में रुकावट है।’
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में दो सप्ताह में अपनी राय स्पष्ट करने और हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है।