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पाकिस्तान की गोलाबारी, 14 महीने की परी जिंदगी और मौत से जूझ रही

जम्मूू के एक अस्पताल में गर्दन, रीढ़ की हड्डी और पेट में आयी चोटों का इलाज करवा रही 14 महीने की परी पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा भारतीय सीमा के असैन्य क्षेत्र में बर्बरता ढाने की एक जीता-जागता प्रमाण है।
पाकिस्तान की गोलाबारी, 14 महीने की परी जिंदगी और मौत से जूझ रही

पाकिस्तान द्वारा एक नवंबर को रंगूर कैम्प के उसके गांव में सीमा पार से की गयी गोलाबारी में लड़की के दादा, उसकी चाची और दो चचेरे भाई-बहन की मौत हो गयी। बुधवार को गर्वमेन्ट मेडिकल काॅलेज :जीएमसी: अस्पताल में उसकी जीवन रक्षक सर्जरी की गई थी। परी के एक रिश्तेदार बलजीत कुमार ने बताया, इस नन्ही सी उम्र में उसे मालूम नहीं है कि उसके परिवार के साथ क्या त्राासदी हो गई है। पाकिस्तानी गोलाबारी में उसके माता-पिता भी घायल हो गये हैं।

परी का इलाज कर रहे डाॅक्टरों ने बताया कि उसकी गर्दन, रीढ़ की हड्डी और पेट में चोट आयी है। उसकी आंत का भी कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। उसका एक्सप्लोटरी लैटोपोमी किया गया है और उसे सघन आईसीयू में रखा गया है।

अस्पताल में परी जिंदगी और मौत से जूझ रही है। हमले में घायल उसके पिता राकेश कुमार भी इसी अस्पताल में भर्ती हैं। परी की एक अन्य रिश्तेदार गीता कुमारी ने बताया, हमारे गांव पर पाकिस्तानी रेंजर्स का हमला सरासर बर्बरता है। सुरक्षित स्थान पर जाने का समय दिये बिना उन्होंने कई घंटे तक हमारे गांव पर गोलाबारी जारी रखी। इन सभी बातों का परी एक सबूत है।

कुमारी ने कहा, परी के पिता उसे देख पाने में समर्थ नहीं है। उनके पांव में चोट आयी है। हम उन्हें अपने कंधों पर ले गये थे ताकि वह अपने पिता का अंतिम संस्कार में भाग ले सके। पूरे जम्मू क्षेत्र के लोग परी के शीघ्र स्वास्थ्य होने की कामना कर रहे हैं। भाषा एजेंसी 

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