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दिल्ली में बड़ी इमारतों को लगाना होगा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

दिल्ली में भविष्य में बनने वाली बड़ी सरकारी व गैर सरकारी इमारतों में वाटर हार्वेटिंग सिस्टम या छोटे एसटीपी लगाना जरूरी होगी अन्यथा पानी का कनेक्शन नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा पानी की पूर्ति के लिए पानी के संरक्षण और लीकेज रोकने की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे।
दिल्ली में बड़ी इमारतों को लगाना होगा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

मांग आपूर्ति में है अंतर

यह कहना है दिल्ली सरकार के जल मंत्री राज पाल गौतम का। एक खास मुलाकात में उन्होंने कहा कि दिल्ली को जितना कच्चा पानी मिल रहा है उससे ज्यादा मिलने की कोई संभावना नहीं है। लिहाजा जरूरी है कुछ कड़े कदम उठाएं जाए ताकि हर साल गर्मियों में लोगों को पेयजल किल्लत का सामना न करना पड़े। इस समय दिल्ली के पास करीब 950 एमजीडी पानी की उपलब्धता है और जरूरत 1150 एमडीजी की। इसी कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

बरसाती पानी रोका जाएगा

सरकार की योजना है कि कोई भी बड़ी इमारत बने, अस्पताल या स्कूल बने तो उसमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम या छोटे एसटीपी लगाना जरूरी किया जाएगा अन्यथा पानी का कनेक्शन हीं दिया जाएगा। पुरानी इमारतों और अपार्टमेंट में भी इस तरह की योजना पर विचार किया जा सकता है। यानी पानी की पूर्ति के लिए क्रांति लाने से ही बात बन पाएगी। इसके अलावा पानी के संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा। जैसे भाटी माइंस या नजफगढ़ में घुम्मनहेड़ा जैसे इलाके हैं जहां एक झील से बन गई है और यहां बरसाती पानी को रोका जा सकता है।

लीकेज है दो सौ एमजीडी

राज पाल गौतम कहते हैं, दिल्ली में लीकेज ही 200 एमजीडी के करीब है और इसे ही रोक लिया जाए तो फिर पानी की समस्या नहीं रहेगी। टैंकर माफिया के सवाल पर उऩ्होंने कहा कि जब तक सभी जगह पानी की लाइन नहीं पहुंचेगी तब तक टैंकर को रोका नहीं जा सकता है। बोलने को तो राजनैतिक भाषा कोई भी बोल सकता है। कई जगह अंत तक पानी नहीं जाता जबकि वहां लाइन है जिसके कारण वहां टैंकर भेजना जरूरी है। इसके साथ इन जगहों पर स्थायी तौर पर पानी की लाइन डालने पर भी काम चल रहा है। पानी के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों से भी बातचीत कर कदम उठाए जाएंगे।

 

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