वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि अमेरिका में भारत के प्रति ‘सकारात्मक रुख’ है और अमेरिकी निवेशकों को उन सुधारों की स्पष्ट समझ है जो सरकार अर्थव्यवस्था के विस्तार और भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर उठा रही है।
जेटली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए हफ्तेभर के अमेरिकी दौरे पर हैं। उनके नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया है।
पीटीआई के मुताबिक, वह न्यूयॉर्क और बोस्टन का दौरा पहले ही कर चुके हैं, जहां उन्होंने निवेशकों को संबोधित किया और शीर्ष कॉर्पोरेट नेताओं के साथ बैठकें की। इसके अलावा उन्होंने कोलंबिया और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ बातचीत भी की।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वित्त मंत्री ने भारत सरकार द्वारा ठोस उपायों के जरिये संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने का जिक्र किया। इन सुधारों में माल एवं सेवा कर जीएसटी, वित्तीय समावेशन और छद्म अर्थव्यवस्था के खिलाफ कदम शामिल हैं। वित्त मंत्री ने भारत के कुशल पेशेवरों के अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि अमेरिकी पक्ष को इसकी सराहना करनी चाहिए।
'भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता'
वाशिंगटन में अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदार मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा कुछ संरचनात्मक बदलावों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के कारण भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है।
जेटली ने कहा कि कुछ महीनों में व्यापार करने का पूरा माहौल बदल गया है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है। यह मुख्यत: सरकार द्वारा किए जा रहे संरचनात्मक सुधारों, वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलावों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के बड़े मौकों के कारण हुआ है।
'लम्बे समय में फायदेमंद है नोटबंदी'
अरुण जेटली ने कहा,‘‘मैं अब स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि दुनिया में वृद्धि वापस आ रही है, जहां तक भारत की बात है, भविष्य एक महत्वपूर्ण दिशा तय करेगा। देश और अर्थव्यवस्था का विशाल आकार अगले कुछ साल में भारत में निवेश के बड़े अवसर देगा।’’
जेटली ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा की सरकार केंद्र में आई तो हमारे पास एक विकल्प था कि हम दूसरा रास्ता अपनाएं और कालेधन पर आधारित ‘छद्म अर्थव्यवस्था’ को चलने दें लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, हमने कुछ साहसी कदम उठाए जिसकी परिणति उच्च मूल्य वाले मुद्रा नोटों को चलन से बाहर करने के रूप में हुई। ’’
जेटली ने कहा कि सरकार को पता है कि लघु अवधि में इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन दीर्घावधि में यह देश के लिए फायदेमंद है।’वह यहां कारपोरेट जगत की हस्तियों और निवेशकों से रूबरू थे।
निवेश के लिए भारत को अनुकूल बताया
भारत को एक निवेश अनुकूल देश बताते हुए जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने कारोबार सुगमता के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा,‘‘भारत आज दुनिया की सबसे खुली और वैश्विक तौर पर एकीकृत अर्थव्यवस्था है। पिछले कुछ साल में कारोबार सुगमता रैंकिंग में हम बेहतर हो रहे हैं।’’ उन्होंने इस संबंध में सरकार की कुछ पहलों का भी जिक्र किया.
बैंकिंग से जुड़े कदमों का जिक्र
सरकारी कामकाज में नयी डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल और इसे लोगों के लिए लाभकारी बनाने के लिए सरकार ने कई ‘बड़े कदम’ उठाए हैं। जेटली ने कहा, ‘‘आज की तारीख में लगभग सभी लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हैं। भारत में लगभग हर वयस्क की बायोमीट्रिक पहचान है। एकीकृत आंकड़े डिजिटल प्रणाली के माध्यम हर नागरिक तक पहुंचने में सरकार की मदद करते हैं।
एच-1बी वीजा में सुधारों तथा एल-1 वीजा प्रक्रियाओं का मुद्दा
जेटली ने अमेरिका के वित्त और वाणिज्य मंत्रियों के साथ एच-1बी वीजा में सुधारों तथा एल-1 वीजा प्रक्रियाओं का मुद्दा उठाया है। जेटली ने कहा कि भारतीय पेशेवरों द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए।
उन्होंने मजबूती से एच-1बी-एल1 वीजा प्रक्रियाओं और सामाजिक सुरक्षा योगदान में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि इससे अमेरिकी हितों के लिए सेवाएं दे रहे उच्च दक्षता वाले भारतीय पेशेवरों को अनुचित तरीके से उनके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकेगा।
एच-1बी वीजा गैर-आव्रजक वीजा है, जिसमें अमेरिकी कंपनियों को विशेषता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति होती है। यह वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है एल-1 वीजा में विदेशी पेशेवर को अस्थायी रूप से प्रबंधक, कार्यकारी और विशेषज्ञता ज्ञान श्रेणी में अमेरिका स्थानांतरित किया जा सकता है। इस वीजा में पेशेवर को उसी नियोक्ता, मूल कंपनी, शाखा या अनुषंगी कंपनी में स्थानांतरित किया जाता है। अपने चुनाव अभियान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी और एल-1वीजा कार्यक्रमों में निगरानी बढ़ाने की घोषणा की थी।
इससे पहले वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने माइक्रो पेंशन पर मुख्या वक्ता के रूप में अपने संबोधन में कहा कि नीति निर्माताओं तथा संभावित युवाओं के सक्रिय जीवन के बाद पेंशन की जरूरत के बारे में विश्वास दिलाना बड़ी चुनौती है।