कन्या भ्रूण हत्या में भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बेहद खराब है। एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स (एसीएचआर) ने अपनी पहली ग्लोबल स्टडी में भारत को चौथे नंबर पर रखा है। यानी भारत में बच्चियों को मारने की सिलसिला पाकिस्तान, अजरबेजिस्तान, नाइजिरिया से भी खतरनाक है।
इस ग्लोबल स्टडी से यह बात उभरती है कि किस तरह से दुनिया भर में बेटों की चाह बेटियों की हत्या करने की सोच को बढ़ावा देती है। दुनिया भर में साल भर में 15 लाख कन्या भ्रूणों की हत्या इसी सोच के तहत की जाती है।
सबसे खराब लिंग अनुपात में नंबर वन पर है एक छोटा सा यूरोपीय देश लिचेनस्टेन जहां 100 महिलाओं पर 126 पुरुष है, चीन नंबर दो पर है, जहां 100 महिलाओं पर 115 पुरुष हैं, तीसरे नंबर अर्मेनिया, जहां 100 महिलाओं पर पर 113 पुरुष और फिर है भारत जहां 100 महिलाओं पर 112 पुरुष हैं। भारत जहां चौथे नंबर पर है, वहीं पाकिस्तान दसवें स्थान पर है। पाकिस्तान ने 100 महिलाओं पर 105 पुरुष हैं।
इस तरह से भारत में लगातार हाल खराब होते जाने के संकेत हैं। कानून होने के बावजूद इसका पालन नहीं हो रहा है। मोदी सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान भी कन्या भ्रूण हत्याएं रोकने में बहुत कारगर होते हैं।