इरोम शर्मीला के भाई इरोम सिंघजीत ने बताया कि अधिकारों के लिए होने वाले आंदोलनों का चेहरा बन चुकीं 44 वर्षीय शर्मीला यहां की स्थानीय अदालत में अपना उपवास खत्म करेंगी। शर्मीला को जीवित रखने के लिए जेल में तब्दील किए गए अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही ट्यूब के जरिये जबरन भोजन दिया जा रहा था। सिंघजीत ने बताया, कल उन्हें न्यायिक मेजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। जब वे उपवास तोड़ लेंगी तो उन्हें न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया जाएगा। पखवाड़े भर पहले उन्होंने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी।
इस नई शुरूआत के समय शर्मीला कुनबा लूप के बैनर तले काम करने वाले बड़ी संख्या में उनके समर्थक और महिला कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे लेकिन उनकी 84 वर्षीय मां शाखी देवी वहां नहीं होंगी। सिंघजीत ने बताया, वे शर्मीला से मुलाकात करने वहां नहीं जाएंगी। वे उनकी जीत का इंतजार कर रही हैं और यह मौका तभी आएगा जब अफस्पा को हटा लिया जाएगा। सिंघजीत कल अदालत परिसर में मौजूद रहेंगे। शर्मीला के परिजन और समर्थक उनसे 26 जुलाई के बाद से मिल नहीं पाए हैं। इसी दिन उन्होंने उपवास का अंत करने और अफस्पा को हटाने की लड़ाई राजनीति में आकर लड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की थी। उनके भाई ने कहा, रिहा होने के बाद वे कहां जाएंगी, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। अगर वह घर आकर हमारे साथ रहना चाहती हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन यह फैसला पूरी तरह से उनका ही होगा।