हेडली ने मुंबई में हुए बर्बर 26:11 हमलों से जुड़े कई नए खुलासे करते हुए आज बताया कि किस प्रकार आईएसआई और लश्कर ए तैयबा ने भारत में आतंकवादी अभियानों को बड़े स्तर पर वित्तीय मदद दी और किस प्रकार उसे समय-समय पर धन मुहैया कराया। उसने पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा के आतंकवादी हमलों से पहले मुंबई आने का भी खुलासा किया। लश्कर के आतंकवादी हेडली ने वीडियो लिंक के जरिए आज यहां एक अदालत के समक्ष अपनी गवाही फिर से शुरू करते हुए बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में उनके कार्यालय के लिए एक बैंक खाता खोलने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। अमेरिका की तरफ से किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण हेडली की गवाही कल नहीं हो पाई थी।
हेडली ने उसे मिली वित्तीय मदद की जानकारी देते हुए कहा, उसे सितंबर 2006 में भारत आने से पहले आईएसआई के मेजर इकबाल ने 25,000 डॉलर दिए थे। हेडली ने बताया कि मेजर इकबाल उसे किस्तों में नियमित रूप से धन भेजा करता था। उसने अदालत से कहा, मुझे अप्रैल और जून 2008 के बीच लश्कर के सदस्य साजिद मीर से 40,000 पाकिस्तानी रुपये भी मिले थे। मेजर इकबाल ने उसे वर्ष 2008 में एक या दो बार जाली भारतीय मुद्रा भी दी थी।
उसने बताया कि इसके अलावा आईएसआई के ही अब्दुल रहमान पाशा ने भी उसे 80,000 रुपये दिए थे। हेडली ने अदालत से कहा, ‘जब मैं सितंबर 2006 में लश्कर के निर्देश पर खुफिया काम करने भारत आया था तब तहव्वुर राणा (हेडली का सहयोगी एवं शिकागो में आव्रजन का कारोबार करने वाला पाकिस्तानी नागरिक) मुझे अमेरिका से धन भेजा करता था। मुंबई हमलों के मामले के सरकारी गवाह 55 वर्षीय आतंकवादी ने कहा, ‘भारत में कार्यालय खोलने का विचार मेरा था। यह (एक आव्रजन सलाहकार के रूप में रहकर) मेरी असली पहचान छुपाने का हिस्सा था। मैंने इस बारे में मेजर इकबाल और साजिद मीर से बात की थी और उन दोनों ने इस बात पर सहमति जताई थी।’
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    