बुधवार को 2016-17 के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमला बोल रही हैं। जबकि सरकार बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रही है। दरअसल, आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के दौरान रद्द किये गये 1000 रुपये के संचालित नोटों में से महज 1.4 फीसदी नोट ही जमा नहीं हुए हैं। यानी 98 फीसदी से ज्यादा बंद नोट/मुद्रा बैंकिंग सिस्टम में लौट आई है। जिसे विपक्ष सरकार की विफलता बता रहा है। इस पर सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। हालांकि सरकार ये मानने को तैयार नहीं है कि वह नोटबंदी अपने उद्देश्य में विफल हुई है।
नोटबंदी पर विपक्ष के सवाल
- पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, "चलन से बाहर किए गए 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये आरबीआई के पास वापस नहीं आए। जो केवल करीब एक फीसदी हैं। नोटबंदी की सिफारिश करने वाले रिजर्व बैंक के लिए यह शर्मनाक है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले के पीछे रहे शख्स को इसके लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि आरबीआई ने 16 हजार करोड़ रुपये कमाए, लेकिन नए नोट छापने में 21 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए। पीएम मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि 99 फीसदी नोट कानूनी तौर पर बदल दिए गए तो क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने की स्कीम थी?
-वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा, “नोटबंदी की वजह से कई लोगों की जान गई और आर्थिक नुकसान भी हुआ। ऐसे में क्या प्रधानमंत्री अब इसकी जिम्मेदारी लेंगे।”
-माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले ने भारत की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह एक राष्ट्र विरोधी कृत्य है।” साथ ही उन्होंने ट्वीट किया, “ नोटबंदी के दौरान 100 से ज्यादा जानें गईं और गरीब सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए। नोटबंदी के लिए गिनाए गए उद्देश्य, भ्रष्टाचार से जंग, काले धन, जाली मुद्रा और आतंकवाद पर लगाम सब औंधे मुंह गिर पड़ा।”
सरकार की दलील
विपक्ष के द्वारा नोटबंदी पर सरकार को आड़े हाथ लिए जाने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया से कहा, सरकार का कहना है कि नोटबंदी के फेल हो जाने की बात करने वाले और उसकी आलोचना करने वाले कन्फ्यूज हैं। ऐसे लोग नोटबंदी के पूरे उद्देश्य को समझ नहीं पा रहे हैं।
-समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जेटली का कहना है कि इसके पीछे किसी का पैसा जब्त करने का उद्देश्य नहीं था। बैंकिंग सिस्टम में पैसा आ जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पूरा पैसा वैध है। उन्होंने नोटबंदी का फायदा बताते हुए कहा कि इसका एक प्रत्यक्ष असर हुआ है कि डायरेक्ट टैक्स बेस बढ़ा है। उससे जीएसटी का प्रभाव भी बढ़ा है।
-जेटली ने कहा कि इसका मध्यम और दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।
-उन्होंने कहा बैंकों में भारी मात्रा में धन जमा किया गया था, लेकिन सरकार के लिए यह कोई चिंता नहीं है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है कि औपचारिक व्यवस्था में ज्यादा धन आ गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेटली ने नोटबंदी के कुछ और अहम फायदे और उद्देश्य गिनाए-
-इसका उद्देश्य था कि टैक्स बेस बढ़े। इसका उद्देश्य था कि कालेधन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो। साथ ही व्यवस्था से जाली नोट अलग कर पाएं।
-इसका मकसद था कैशलेस व्यवस्था बनाना और डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देना।
-नोटबंदी से अलगाववादियों को भी आर्थिक चोट पहुंची है। आतंकवादियों के पास से पैसे जब्त हुए हैं।
-जिन लोगों को काले धन से निपटने की कम समझ है वही बैंकों में आई नकदी को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं।
-नोटबंदी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम करना, डिजिटलीकरण करना, कर दायरा बढ़ाना और काले धन से निपटना था।