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कड़ी सुरक्षा के बीच जाट आरक्षण आंदोलन की नरम शुरूआत

करीब तीन महीने पहले जाटों के हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत के बाद रविवार को जाट नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच एक बार फिर से हरियाणा में अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। फिलहाल यह प्रदर्शन छोटी-छोटी बैठकों तक सीमित है।
कड़ी सुरक्षा के बीच जाट आरक्षण आंदोलन की नरम शुरूआत

आरक्षण की माग को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत रविवार को जाटों ने फिर से अपना आंदोलन शुरू कर दिया। हालांकि इस बार आंदोलन को देखते हुए सरकार ने भी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम कर रखा है। पिछली बार जाटों के प्रदर्शन से निपटने में नाकाम रहने पर हरियाणा की भाजपा सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल पटरियों सहित पूरे हरियाणा में चौकसी बरतने के लिए केंद्र और राज्य के करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। फरवरी में हुए हिंसक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और रेल की पटरियों को कई दिनों तक जाम कर दिया था। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मुहम्मद अकील ने कहा, यह आंदोलन अब तक शांतिपूर्ण है।

पिछली बार हिंसक प्रदर्शन के केंद्र रहे रोहतक जिले के जसिया गांव के जाट नेताओं ने हवन कर आरक्षण आंदोलन के दूसरे दौर की शुरूआत की। कुछ प्रभावशाली खाप पंचायतों और जाट गुटों ने प्रदर्शन से खुद को दूर कर लिया है। प्रदर्शन का आह्वान करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) ने जसिया के ठीक बाहर रोहतक-पानीपत राजमार्ग पर एक टेंट लगा दिया और 21 में से 15 जिलों में धरना भी दिया। जाट प्रदर्शनकारी ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने, पिछले प्रदर्शन के दौरान समुदाय के सदस्यों पर दर्ज मामले वापस लिए जाने, मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजन के लिए नौकरी और जख्मी हुए लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

इस बार का प्रदर्शन तथाकथित जाट बेल्ट तक सीमित है, जिसमें झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत, हिसार, फतेहाबाद और जींद जैसे जिले शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा, खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रदर्शनकारियों के छोटे-छोटे समूह हैं। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने जिले के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे। इन जिलों में संवेदनशील जगहों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च भी किया। प्रशासन पूरी चौकसी बरत रहा है जिससे पिछली बार जैसे हालात न बनें। पिछले प्रदर्शन में 30 लोग मारे गए थे, हजारों करोड़ रूपये की संपत्ति बर्बाद कर दी गई थी और प्रदर्शनकारियों ने अहम रास्तों को जाम कर रखा था।

अधिकारियों ने बताया कि हालात पर नजर रखने के लिए चंडीगढ़ में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जो चौबीसों घंटे सक्रिय रहेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी सहित वरिष्ठ अधिकारी हालात पर नजर रख रहे हैं। पिछले जाट आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने जाटों और पांच अन्य समुदायों को पिछड़ा वर्ग (सी) नाम की एक नई श्रेणी के तहत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया। हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस कानून पर रोक लगा दी। इसके बाद जाट संगठनों ने फिर से आंदोलन की घोषणा की।

 

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