आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा, हरियाणा में जाट समुदाय के सदस्यों के लिए न्याय और आरक्षण की अपनी मांग को मुखर बनाने के लिए जंतर-मंतर पर जाट न्याय धरना का आयोजन किया।
मलिक ने बताया कि समुदाय के सदस्य आरक्षण को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंप कर आरक्षण की मांग करेंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली पहुंचे 50 लाख आंदोलनकारी संसद का भी घेराव करेंगे। संसद घेराव की तारीख का ऐलान प्रदर्शन के दौरान किया जाएगा ।
असहयोग आंदोलन के तहत जाट समुदाय के लोगों से बिजली तथा पानी के बिल का भुगतान न करने तथा राष्ट्रीय राजधानी को दूध और अन्य जरूरी चीजें जैसे सब्जियां आदि की आपूर्ति बंद करने को कहा गया है।
बुधवार को हरियाणा विधानसभा में जाट आंदोलन पर चर्चा की गई। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान स्थगन प्रस्ताव पेश करने वाले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हरियाणा में जाटों को सरकारी नौकरियों तथा सरकारी संस्थानों में आरक्षण पर राजनीति करने का प्रयास कर रही हैं।
चौटाला ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार जाट समुदाय की मांगों को पूरा करने में विफल रही है, जबकि उसने पिछले साल इस पर सहमति जताई थी।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब के जाट आंदोलनकारियों से प्रदर्शन स्थल की ओर जाने वाली सड़कें भर गई जिसके चलते उस इलाके से गुजरने वाले वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयोजन स्थल तक पहुंचने वाले प्रदर्शनकारियों की भीड़ से निपटने के लिए प्रमुख चौराहों और मार्गों पर पुलिस और यातायात कर्मियों को तैनात किया गया था।
गौरतलब है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले लोग शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग के अलावा गत वर्ष हुए जाट आंदोलन के दौरान जेल में बंद लोगों को रिहा करने, प्रदर्शन के दौरान दायर किए गए मामलों को वापस लेने और इस दौरान मारे गए और घायल हुए लोगों के परिजनों को नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।
जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में हरियाणा के कई स्थानों पर 30 लोग मारे गये थे और करोड़ों रूपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। भाषा