खालिद ने आगे लिखा, ‘बुरहान को मौत से डर नहीं था। वह बंदिशों में जीने वाली जिंदगी से डरता था। उसने इसका विरोध किया। उसने एक आजाद शख्स के तौर पर जिंदगी को जिया और आजाद होकर ही मर गया। भारत! तुम उन लोगों को किस तरह हराओगे, जिन्होंने अपने डर को हरा दिया है?’ जेएनयू छात्र नेता ने कहा- ‘रेस्ट इन पावर बुरहान! कश्मीर के लोगों के साथ पूरी सहानुभूति।’
उमर ने जिस चे ग्वेरा से वानी की तुलना की है वह अर्जेंटीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे और क्यूबा की क्रांति में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी। इनकी मृत्यु के बाद से इनका चेहरा दुनियाभर में सांस्कृतिक विरोध एवं वामपंथी गतिविधियों का प्रतीक बन गया। 1959 में चे ग्वेरा क्यूबा की फिदेल कास्त्रो सरकार के मंत्री के तौर पर भारत दौरे पर आए थे। भारत से जाने के बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तारीफ की थी।
एक दूसरी पोस्ट में उमर खालिद ने तंज कसते हुए लिखा, ‘सिर्फ बुरहान वानी का ही क्यों, मैं मौतों का, बलात्कार का, टॉर्चर का, लापता होने का और अफ्सपा का, हर बात का जश्न मनाउंगा। मैं समीर राह की मौत पर भी सफाई दूंगा। वो 12 साल का लड़का, जिसे 2010 में पीट-पीटकर मार दिया गया। आयशा और नीलोफर को शोपियां में कभी रेप कर मारा ही नहीं किया। वह हकीकत में नहर में डूब गई थीं।’ खालिद ने लिखा- आज से मैं शुतुरमुर्ग बन जाउंगा, मैं एक कायर बन जाउंगा, जिसे सत्ता में काबिज लोगों से कायरों को दबाने के लिए खूब तारीफें मिलती हैं। लेकिन राष्ट्रवादियों से मेरा एक छोटा सवाल भी है, क्या ऐसा करने से कश्मीर की जमीनी हकीकत बदल जाएगी?
इधर एबीवीपी उमर खालिद के ऐसे व्यवहार पर नाराजगी जताई है। एबीवीपी के कार्यकर्ता सौरभ शर्मा ने कहा कि उमर खालिद नेे वानी पर जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है, वह उसके और उसके साथियों की मंशा को जग जाहिर कर रहा है। एजेंसी