आयोग के उच्चस्थ सूत्रों ने इस बारे में जानकारी दी है। जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को अपनी राय देने वाले इस आयोग ने तय किया है कि अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करने के लिए समान नागरिक संहिता से जुड़े सभी पक्षों की राय लेने की प्रक्रिया वह सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के तीन तलाक पर दिए जाने वाले फैसले के बाद ही शुरू करेगा।
इस सूत्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में पर्सनल लॉ की व्याख्या कर सकता है। कोर्ट धार्मिक आस्था और धार्मिक प्रथा के मुद्दों की भी गहरी छानबीन कर सकता है। इसे देखते हुए कोर्ट का फैसला आने तक समान नागरिक संहिता पर रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया धीमी कर दी गई है। विधि आयोग को लगता है कि तीन तलाक पर आने वाला फैसला उसे अपनी रिपोर्ट तैयार करने में दिशा-निर्देश का काम कर सकता है। सूत्र ने कहा कि एक बार रोडमैप बन गया तो आयोग सभी पक्षों से विचार-विमर्श शुरू कर देगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में विधि आयोग को समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर संबंधित पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनी राय देने के लिए कहा था। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कल यह स्पष्ट कर दिया था कि वह मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथाओं पर भविष्य में सुनवाई करेगा। पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने कल कहा था कि सीमित समय में तीनों मुद्दों पर विचार करना संभव नहीं है इसलिए दोनों मुद्दों को भविष्य के लिए लंबित रखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह तीन तलाक के इसी सवाल तक सुनवाई को सीमित रखेगा कि क्या ये इस्लाम का मूल हिस्सा है। (एजेंसी)