अपने आदेश में गृह मंत्रालय ने दावा किया कि लॉयर्स कलेक्टिव द्वारा सरकार के समक्ष दाखिल अपने रिटर्न में जो विदेशी चंदे का हवाला दिया गया है उसमें अनियमितताएं हैं। आदेश में कहा गया है कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के तहत अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल जयसिंह ने सरकारी सेवक रहने के दौरान साल 2006-07 और 2013-14 के बीच विदेशी चंदा हासिल कर विदेशी चंदा नियमन कानून का उल्लंघन किया। सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एनजीओ ने एक वक्तव्य जारी करते हुए आश्चर्य जताया कि कैसे कोई आदेश रविवार को जारी किया जा सकता है जब सारे सरकारी दफ्तर बंद होते हैं। वक्तव्य में कहा गया, लॉयर्स कलेक्टिव को 27 नवंबर 2016 का एक आदेश मुंबई में उसके पंजीकृत कार्यालय पर मिला है जिसमें विदेशी चंदा हासिल करने के लिए उसके पंजीकरण को रद्द कर दिया गया है।
संस्था के वक्तव्य में कहा गया, रद्द करने का आदेश इस आधार पर दिया गया है कि एलजी ने कथित तौर पर अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र की शर्तों, एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन किया और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जनहित के खिलाफ काम किया। वक्तव्य में कहा गया कि सबसे विचित्र बात यह है कि आदेश रविवार को पारित किया गया जब सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं। जून में लॉयर्स कलेक्टिव का लाइसेंस नरेंद्र मोदी सरकार ने एफसीआरए का कथित तौर पर उल्लंघन करने के लिए निलंबित कर दिया था। उसपर धन का रैलियों, राजनैतिक रंग वाले धरनों में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। इस आरोप का संगठन ने खंडन किया था और इसे प्रतिशोध का कृत्य बताया था।