दरअसल, इस घटना पर दु:ख जाहिर करते हुए वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर ने सुझाव दिया कि ड्राइवर्स, कंडक्टर्स के अलावा बाकी नॉन टीचिंग स्टाफ में अगर महिलाओं को ही रखा जाता है, तो चाइल्ड सेक्शुअल एब्यूज के मामलों को रोका जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि रियान इंटरनेशनल स्कूल में 8 सितंबर को एक बस कंडक्टर ने बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न की कोशिश की थी। विरोध करने पर उसने बच्चे पर चाकू से हमला कर उसकी जान ले ली। मृतक बच्चे का परिवार सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में मेनका गांधी ने कहा, ‘हमने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कहा है और यह महिलाओं से संबंधित वुमन्स पॉलिसी (ड्राफ्ट) में भी शामिल है कि स्कूलों में वाहन चालक, कंडक्टर और गैर शिक्षण कर्मचारी महिलाएं हों।’ जुलाई में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाले एक मंत्री समूह ने नेशनल वुमन्स पॉलिसी (ड्राफ्ट) को मंजूरी दे दी थी और अब वह मंत्रिमंडल के पास लंबित है।
मेनका गांधी ने कहा- हमने अपने सुझाव एचआरडी मिनिस्ट्री को भेज दिए हैं। और जो सुझाव भेजे गए हैं वो पहले ही वुमन्स पॉलिसी (ड्राफ्ट) में मौजूद हैं। ड्राइवर, कंडक्टर और बाकी नॉन टीचिंग स्टाफ में भी सिर्फ महिलाएं ही होनी चाहिए।
बता दें कि नेशनल वुमन्स पॉलिसी (ड्राफ्ट) कमेटी जुलाई में बनाई गई थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इसकी हेड हैं। कुछ और मंत्री भी इस कमेटी में हैं। इस कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। फिलहाल, कैबिनेट को इस पर विचार करना है। इसके बाद ही इसे मंजूरी मिल सकती है।