मूल रुप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का रहने वाला रामवृक्ष यादव ने जब अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया तो बड़ी संख्या में गाजीपुर और उसके आसपास के लोग उसके भक्त हो गए। गाजीपुर जिले के ही गांव बुजुर्गा, सराय गोकुल में रामवृक्ष ने होम्योपैथिक के डॉक्टर के रुप में जाना जाता था। जहां उसके साथ बड़ी संख्या में लोगों को उसने जोड़ लिया। फ्री में जमीन, घर देने का वादा करके रामवृक्ष इस इलाके के बहुत से लोगों को मथुरा लेकर चला गया और जवाहर बाग की जमीन को अपनी जमीन बताकर वहां लोगों को बसा दिया।
जवाहर बाग की घटना सामने आने के बाद जो लोग बचकर निकल गए उसमें तो कुछ अपने घर लौट आए लेकिन वह खुलकर यह नहीं बताते कि वह रामवृक्ष के साथ थे। क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं पुलिस उनको प्रताड़ित न करे। सराय गोकुल के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि रामवृक्ष के साथ वह बहुत दिनों से जुड़ा हुआ था लेकिन उसे यह नहीं पता था रामवृक्ष क्या करता है। बस उसे यह कहा गया था कि आज उसे नौकरी दी जाएगी बाद में उसे जमीन और मकान भी दिया जाएगा। इसी लालच में वह मथुरा में था। जिस दिन पुलिस जवाहर बाग खाली कराने गई थी उस दिन भी यह व्यक्ति रामवृक्ष के साथ था लेकिन पुलिस को चकमा देकर भाग गया। बाद में उसे अगले दिन रामवृक्ष के कारनामों का पता अखबार से चला।
इसी तरह के कई व्यक्ति जो कि रामवृक्ष का गुणगान करते नहीं अघाते थे आजकल उनका सुर बदल गया है। रामवृक्ष के पैतृक गांव में कई भक्त थे लेकिन आज सबने एक स्वर में करना शुरू कर दिया कि उसे नहीं जानते।
कल तक रामवृक्ष के साथ थे आज कहते हैं कि नहीं जानते
मथुरा के जवाहर बाग पर दो साल से सत्याग्रह के नाम पर कब्जा जमाने वाले रामवृक्ष यादव का जब असली चेहरा सामने आया तो उसके साथ रहने वाले भी अब कहते हैं कि नहीं जानते।
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