बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मेरठ में सोमवार को रैली की। इस दौरान उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री के भाई आनंद कुमार और अपने भतीजे का भी लोगों से परिचय कराया गया। इसे वंशवाद की तरफ एक और कदम माना जा सकता है। राज्य में पार्टी को मिली चुनावी हार और राज्य सभा से इस्तीफे के बाद मायावती की यह पहली रैली थी। उनके भाई आनंद कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मायावती ने अप्रैल 2017 में आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष घोषित किया था। हालांकि उस वक्त कहा जा रहा था कि आनंद कुमार कभी भी पार्टी के सांसद और मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। पॉलिटिकल पंडितों का भी कहना था कि पार्टी के दिग्गज नेताओं के एक-एक कर पार्टी छोड़ने के बाद मायावती पार्टी का कमान अपने ही परिवार के पास रखना चाह रही है। लिहाजा उन्होंने अपने छोटे भाई को उपाध्यक्ष बनाया। बसपा के संविधान के अनुसार अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष ही कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में होंगे।
महत्वपूर्ण यह है कि पहली बार मायावती और उनके भाई किसी सियासी मंच पर साथ में दिखे। पार्टी का दावा है कि मेरठ की इस रैली में एक लाख लोग पहुंचे। आनंद और उनके बेटे आकाश ने मंच पर आगे आकर हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन किया। मायावती ने भाषण देना शुरू किया तो दोनों मंच पर बैठ गए।
सोमवार को रैली के दौरान मायावती ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा। कहा कि सहारनपुर में बीजेपी ने सोची-समझी साजिश के तहत दंगा करवाया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया।
मेरठ रैली में परिवार के सदस्यों को सामने लाने के बाद विपक्ष ने मायावती पर हमल बोला है। बीजेेपी का कहना है कि अपनी घटती ताकत से घबराकर वे राजनीति में जितनी भी कुरीतियां हैं उनका सहारा ले रही हैं। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “कांशीराम ने वंशवाद का विरोध किया था और मायावती भी इस कदम पर चलीं थीं लेकिन कालांतर में पार्टी की लगातार घटते जनाधार के बाद वे भी सभी कुरीतियों को अपना रहीं हैं। अब मायावती इन सभी अनावश्यक कुरीतियों को अपनाकर पार्टी को अंतिम दौर में लेकर जा रहीं हैं।”