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सौरभ कालिया के लिए अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट नहीं जाएगी सरकार

कैप्‍टन सौरभ कालिया के साथ हुई दरिंदगी को अंतरराष्‍ट्रीय न्‍यायालय में उठाना मोदी सरकार को भी संभव नहीं लगता।
सौरभ कालिया के लिए अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट नहीं जाएगी सरकार

नई दिल्‍ली। कारगिल युद्ध के शहीद कैप्‍टन सौरभ कालिया सहित पांच अन्‍य सैनिकों को इंसाफ के लिए केंद्र सरकार अंतरराष्‍ट्रीय अदालत में नहीं जाएगी। पिछले दिनों संसद में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने साफ कर दिया है कि इस मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय न्‍यायालय में नहीं उठाया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस मामले में पाकिस्‍तान के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय अदालत में जाना व्‍यवहारिक नहीं है। केंद्र की यह प्रतिक्रिया कैप्‍टन सौरभ कालिया के परिजन की ओर से मामले की अंतरराष्‍ट्रीय जांच की मांग के बाद आई है। 
 
मेल टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद राजीव चंद्रशेखर ने सरकार से सवाल पूछा था, क्‍या सौरभ कालिया व पांच अन्‍य सैनिकों की पाकिस्‍तान सेना द्वारा निर्मम हत्‍या के मामले को सरकार अंतरराष्‍ट्रीय न्‍यायालय और संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएगी? ताकि दोषी सैनिकों को सजा दिलाई जा सके। इस पर वीके सिंह ने जवाब दिया कि अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय का ध्‍यान पाकिस्‍तानी सेना के इस बर्बरतापूर्ण कृत्‍य की ओर पहले ही ले जाया जा चुका है। अंतरराष्‍ट्रीय न्‍यायालय से मदद लेने की संभावना पर भी गहराई से विचार किया गया, लेकिन ऐसा करना संभव नहीं लगता।
 
सौरभ कालिया के 66 वर्षीय पिता एनके कालिया पिछले 16 साल से बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा सरकार से उन्‍हें देशभक्ति का जज्‍बा दिखाने की उम्‍मीद थी, लेकिन केंद्र में सत्‍ता परिवर्तन के बाद भी सरकार का रुख नहीं बदला है। गौरतलब है कि विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर यूपीए सरकार की तीखी आलोचना की थी। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश के सैनिकों के प्रति सम्‍मान व्‍यक्‍त करते हुए कई बातें कहीं हैं। सौरभ कालिया के साथ हुई दरिंदगी को पाकिस्तानी सैनिक भी स्‍वीकार कर चुके हैं और इसका वीडियो सालों से यूट्यूब पर पड़ा है। इसके बावजूद भारत सरकार इस मामले को अंतरराष्‍ट्रीय न्‍यायालय में उठाने से हिचक रही है। यूपीए सरकार ने भी पड़ोसी देश से संबंधों का हवाला देते हुए मामले को अंतरराष्‍ट्रीय अदालत में ले जाने से मना कर दिया था। 

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