मोदी ने यूनेस्को मुख्यालय में अपने भाषण में समग्रता के अपने दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि संस्कृतियों, परंपराओं और धर्मों का उपयोग दुनियाभर में चरमपंथ, हिंसा तथा विभाजन की उंची उठती लहरों पर काबू पाने के लिए किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, हमने खुलेपन और सहअस्तित्व की कालातीत परंपरा के साथ एक प्राचीन धरती पर आधुनिक राज्य का निर्माण किया है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हम प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा और संरक्षा करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर आस्था, हर संस्कृति और हर नस्ल के प्रत्येक नागरिक का हमारे समाज में समान दर्जा हो। अपने भविष्य में विश्वास हो और उसे आगे बढ़ाने का विश्वास हो।
मोदी का यह आश्वासन काफी मायने रखता है क्योंकि कुछ स्थानों पर गिरिजाघरों पर हमलों और संघ परिवार के संगठनों के घर वापसी अभियान के कारण अल्पसंख्यक समुदाय के बीच आशंकाएं हैं।