हाल ही में विपक्ष के कई सांसदों को उनके आईफोन पर चेतावनी वाले संदेश मिलने के मद्देनजर एप्पल कंपनी को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में अमेरिका से इसके साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के इस महीने ‘सीईआरटी-इन’ के अधिकारियों से मिलने की संभावना है।
दरअसल पिछले महीने, कई विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि उन्हें एप्पल से एक चेतावनी वाला संदेश मिला है, जिसमें कहा गया है कि ‘‘राज्य(सरकार) प्रायोजित हमलावर उनके आईफोन में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं’’ और सरकार द्वारा कथित हैकिंग की जा रही है।
सीईआरटी-इन कंप्यूटर सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है। इसने हाल में एप्पल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (एमईआईटीवाई) राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा था कि एप्पल को नोटिस का जवाब देना होगा और इसे उसकी वैश्विक साइबर सुरक्षा टीम द्वारा करने की जरूरत है।
चंद्रशेखर ने संवादाताओं से कहा, ‘‘उन्हें यहां आकर इन प्रश्नों के उत्तर देने होंगे…।’’ उन्होंने कहा कि ‘भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ या सीईआरटी-इन ने एप्पल के स्थानीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की है लेकिन इस मुद्दे पर जवाब देना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह उनके साइबर सुरक्षा के लोग हैं जिन्हें आना है और सीईआरटी-इन से मिलना है। वे अमेरिका से आएंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या एप्पल को जवाब देने की कोई समयसीमा निर्धारित की गई है उन्होंने कहा कि उन्हें तारीखों के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन उम्मीद है कि विशेषज्ञों की टीम इसी माह सीईआरटी-इन के अधिकारियों से मुलाकात करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एप्पल की साइबर सुरक्षा टीम को अगर वक्त पर वीजा मिल गया तो वह इसी माह आएगी।
पिछले माह कई विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि उन्हें एप्पल से एक अलर्ट मिला है, जिसमें उन्हें चेतावनी दी गई है कि ‘‘सरकार-प्रायोजित हैकर उनके आईफ़ोन में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं’’ और उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर इन संदेशों के कथित स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर, पवन खेड़ा, केसी वेणुगोपाल, सुप्रिया श्रीनेत, टीएस सिंहदेव और भूपिंदर सिंह हुड्डा शामिल हैं, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव आदि को चेतावनी वाले ये संदेश मिले थे और सभी ने सवाल खड़े किए थे।