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मुस्लिम महिला संगठनों की मांग, एक साथ तीन तलाक का विरोध करे सरकार

एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के सख्त रूख अपनाने की संभावना के बीच देश की कुछ प्रमुख मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार देश की सबसे बड़ी अदालत में इस महिला विरोधी प्रथा का विरोध करे और इस पर रोक सुनिश्चित कराए।
मुस्लिम महिला संगठनों की मांग, एक साथ तीन तलाक का विरोध करे सरकार

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह-संस्थापक नूरजहां सफिया नियाज ने मांग की है कि अब सरकार को तीन तलाक की व्यवस्था पर सख्त रूख अपनाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय में मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को खुद तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए था। पर उसने ऐसा नहीं किया। मिली जानकारी के अनुसार, सरकार न्यायालय में यह पक्ष रखेगी कि एक साथ तीन तलाक को शरीयत के तहत अपरिहार्य तथा अपरिवर्तनीय बताना पूरी तरह गलत है और यह अनुचित, अतार्किक और भेदभावपूर्ण है। सरकार अदालत को यह भी बताएगी कि दुनिया के ढेर सारे मुस्लिम देशों में शादी के कानून को लेकर नियमन की व्यवस्था है। इस महीने के अंत में कानून मंत्रालय इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपना जवाब दाखिल करेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता और स्तंभकार नाइश हसन का कहना है, शाह बानो मामले के समय ही पर्सनल लॉ बोर्ड को एक साथ तीन तलाक के मसले पर सोचना चाहिए था। ये मुस्लिम महिलाओं को उनका हक नहीं देना चाहते। हसन ने कहा, हमारी मांग है कि एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था के खिलाफ अब सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के पक्ष में रूख अपनाए। मुस्लिम एवं दलित महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करने वाले संगठन तहरीक-ए-निसवां की अध्यक्ष ताहिरा हसन का कहना है कि एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था महिला विरोधी है और सरकार को इस पर रोक के लिए प्रयास करने चाहिए। ताहिरा ने कहा, मेरी समझ में यह नहीं आता कि पर्सनल लॉ बोर्ड में बैठे मौलाना लोग एक साथ तीन तलाक की पैरवी क्यों कर रहे हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और कई मुस्लिम देशों में इस पर रोक लग चुकी है। इस महिला विरोधी व्यवस्था का खत्म होना जरूरी है।

सूत्रों के अनुसार केन्द्र की यह भी सोच है कि इस मुद्दे को समान नागरिक संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाए, बल्कि इसे लैंगिक न्याय और महिलाओं की बुनियादी स्वतंत्रता के मुद्दे के तौर पर देखा जाना चाहिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरूण जेटली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले हफ्ते बैठक की थी और एक साथ तीन तलाक कहने (तलाक-ए-बिदअत) पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के संभावित रूख पर चर्चा की थी। इन मंत्रियों ने बहुपत्नी प्रथा और निकाह हलाला पर भी चर्चा की थी।

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