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निर्भया फंड खर्च करने में सभी राज्य पिछड़े, उत्तराखंड-मिजोरम ने 50 फीसदी फंड का किया इस्तेमाल

2012 में हुए ‘निर्भया’ गैंगरेप और हत्या के मामले का अध्याय शुक्रवार को चार दोषियों की फांसी के साथ...
निर्भया फंड खर्च करने में सभी राज्य पिछड़े, उत्तराखंड-मिजोरम ने 50 फीसदी फंड का किया इस्तेमाल

2012 में हुए ‘निर्भया’ गैंगरेप और हत्या के मामले का अध्याय शुक्रवार को चार दोषियों की फांसी के साथ समाप्त हो गया। लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए उसके नाम पर स्थापित निर्भया फंड का कोई इस्तेमाल नहीं हुआ। उस दिल्ली में भी यह राशि नाम मात्र को खर्च हुई जहां यह घटना हुई थी। जबकि फंड के उपयोग में उत्तराखंड और मिजोरम अव्वल हैं। दोनों राज्यों ने फंड का 50 प्रतिशत से अधिक उपयोग किया है।

फंड में शामिल हैं कई योजनाएं

निर्भया फंड 2013 में यूपीए सरकार ने बनाया था। लेकिन तब से अभी तक केवल इसकी 9 फीसदी राशि का ही उपयोग हो पाया है। इसकी कुछ प्रमुख योजनाओं के तहत फंड की राशि 25 प्रतिशत से भी कम इस्तेमाल की गई है। निर्भया फंड के तहत चलाई जाने वाली महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत प्रमुख योजनाएं वन स्टॉप सेंटर हैं, जिसका उद्देश्य संकट में फंसी महिलाओं को मदद देना, महिला हेल्पलाइन योजना महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना है।

इस योजना के तहत, 2016-19 के बीच केंद्र द्वारा कुल 219 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। पिछले महीने संसद में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, इस राशि का सिर्फ 53.98 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया था। जो कि ओएससी योजना के तहत आवंटित धन का उपयोग 24 प्रतिशत था। आंकड़ों के अनुसार, महिला हेल्पलाइन योजना के सार्वभौमिकरण के लिए, केंद्र द्वारा 2016-19 से कुल 20.24 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसमें से सिर्फ 13.34 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया था।

पिछले संसद सत्र में स्मृति ईरानी ने दिए थे आंकड़े

इस योजना के तहत, विशेषतौर पर महिलाओं के लिए देश भर में एक कॉमन फोन नंबर के साथ हेल्पलाइन का प्रावधान है, जिससे संकट में फंसी महिला को सहायता प्रदान की जा सके। यह योजना ओएससी के साथ लिंक है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि महिला हेल्पलाइन की एक जैसी योजना के लिए आवंटित धन का 65 प्रतिशत उपयोग किया गया, जबकि 2016-17 से महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना (एमपीवीएस) के तहत केंद्र द्वारा आवंटित कुल 15.15 करोड़ रुपये में से 34.7 लाख रुपये का उपयोग किया गया। संकट में पुलिस और महिलाओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करने वाले एमपीवीएस के तहत उपयोग की गई राशि का प्रतिशत 2.24 प्रतिशत था। पिछले साल नवंबर में, ईरानी द्वारा संसद में दिए गए आंकड़ों में कहा गया था कि केंद्र द्वारा मंजूर किए गए 1,649 करोड़ रुपये में से राज्यों ने सिर्फ 147 करोड़ रुपये का उपयोग किया था। ये निर्भया फंड के कुल उपयोग के नवीनतम उपलब्ध आंकड़े हैं।

तमिलनाडु, तेलंगाना फंड उपयोग में पिछड़े

हाल ही में बलात्कार और हत्या की भयावह घटनाओं के लिए चर्चा में उत्तर प्रदेश और तेलंगाना, दो ऐसे राज्य हैं जो कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली के साथ-साथ सबसे ज्यादा ‘निर्भया फंड’ पाने वाले राज्य हैं। बावजूद इसके कर्नाटक ने केंद्र द्वारा आवंटित 191 करोड़ रुपये में से सिर्फ सात प्रतिशत (13.62 करोड़ रुपये) का इस्तेमाल किया जबकि तमिलनाडु ने आवंटित 190.68 करोड़ रुपये में से केवल तीन प्रतिशत यानी 6 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया। संसद में ईरानी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों-मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा और दमन और दीव ने उन्हें आवंटित धन में से एक भी रुपया खर्च नहीं किया है। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली ने आवंटित 390 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत से भी कम का उपयोग किया। जबकि राष्ट्रीय राजधानी के लिए आवंटित राशि सबसे अधिक थी। लेकिन दिल्ली ने केंद्र को सिर्फ 19.41 करोड़ रुपये के उपयोग के बारे में ही बताया।

तेलंगाना में, जहां हाल ही में एक 26 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य को आवंटित 103 करोड़ रुपये में से केवल 4 करोड़ रुपये ही खर्च किए। केंद्रीय गृह मंत्रालय, आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना सहित 13 कार्यक्रमों के लिए निर्भया फंड से धन जारी करता है।

राज्यों ने केंद्र पर मढ़ा दोष

केंद्र ने इसके लिए राज्य सरकारों पर दोष मढ़ा है जबकि राज्य सरकारें शिकायत करती हैं कि उनके द्वारा अधिकार प्राप्त समिति को दिए गए प्रस्तावों के लिए धन जारी नहीं किया गया। जिन्हें इस ढांचे के तहत वित्त पोषित किए जाने के प्रस्तावों की सिफारिश की गई है।

आवंटित धन का केवल पांच प्रतिशत (75.70 करोड़ रुपये) का उपयोग करने वाले, पश्चिम बंगाल का कहना है कि इसमें कई राज्य योजनाएं हैं जो केंद्र द्वारा निर्भया फंड के तहत प्रस्तावित की गई हैं। उत्तराखंड और मिजोरम ने सबसे ज्यादा इस फंड का उपयोग किया है जबकि छत्तीसगढ़ ने 43 फीसदी, नागालैंड ने 39 फीसदी और हरियाणा ने 32 फीसदी इसका उपयोग किया है।

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