Advertisement

भूमि सुधार चाहिए, भू-अध्यादेश नहीं

हमारी मांग है कि जमीन ली जाए लेकिन कॉरपोरेट के लिए नहीं बल्कि किसानों के लिए। जमीन ली जाए ताकि किसान औरतों के पक्ष में जमीन का पुनर्वितरण हो। खेती नहीं रहेगी, देश के पास अनाज नहीं रहेगा तो मेक इन इंडिया के नारे का ढोल कैसे बजेगा और कौन बजाएगा। यह कहना था भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव एनी राजा का।
भूमि सुधार चाहिए, भू-अध्यादेश नहीं

एनी राजा ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में देश भर में एक महीने का सघन आंदोलन चलाया जाएगा। किसानों तथा अन्य तबकों को इन मांगों पर गोलबंद किया जाएगा।

एनी राजा ने बताया कि खेतिहर जमीन लगातार कम रकबे की होती जा रही है, जिससे खेती करना मुनाफे का कारोबार नहीं रह गया है। लिहाजा आज जरूरत इस बात की है कि खेती में संस्थागत परिवर्तन किए जाए, कॉपोरेटिव बनाए जाए। इनमें औरतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसके बजाय जमीन को हड़प पर कॉरपोरेट को सौंपने की तैयारी कर ली है सरकार ने। इसके खिलाफ बड़ा आंदोलनशुरू करने की तैयारी हो रही है। वरिष्ठ अर्थशास्त्री जया मेहता ने कुल खेती योग्य जमीन लगातार कम हो रही है। इसमें से महिलाओं के पास बहुत ही कम मालिकाना है। ऐसे में केरल की तर्ज पर महिला किसानों का कलेक्टिव बनाने की जरूरत है।

आज इस सवाल पर बुलाए गए दिल्ली में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की कि राष्ट्रव्यापी जनजागरण शुरू किया जाएगा और इस मांग का स्त्री पक्ष मजबूती से रखा जाएगा। इस मौके पर भारतीय महिला फेडरेशन की अध्यक्ष और मजदूर किसान संघर्ष समिति (एमकेएसएस) की नेता अरुणा राय ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि यह अध्यादेश किसानों और ग्रामीण भारत के अस्तित्व पर चोट है। लोकतंत्र को तिलांजलि देकर अध्यादेश के रास्ते भूमि को कॉरपोरेट को सौंपने वाली सरकार से पूछा जाना चाहिए कि जमीन हड़ने की इतनी जल्दी क्या है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनविद उषारमानाथन का कहना है कि इस सरकार ने खुलकर इस देश की जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है और यह अध्यादेश उसी का नतीजा है।

एनी राजा ने भी मांग दोहराते हुए कहा कि हमारा मानना है कि कृषि योग्य जमीन पर औरतों के हक को स्थापित करने की जरूरत है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad