साहित्य अकादेमी, दिल्ली के प्रवासी मंच कार्यक्रम में अरुणा सब्बरवाल ने अपनी कहानी उडारी का पाठ किया। चर्चा में वक्ताओं की आम राय थी कि यह औरतों के जीवन में आए खुलेपन की कहानी है। ज्यादातर पसंद आई कहानी पर यह भी कहा गया कि लंदन में विवाहेतर और अकेली महिलाओं के संबंधों को जो पारिवारिक-सामाजिक मान्यता है, वह दिन भारत के लिए अभी दूर है।
तीन तलाक पर पाबंदी के लिए कानूनी प्रयास कर रहेे भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की फाउंडर चेयरपर्सन जकिया सोमन ने कहा कि उनका संगठन जल्द ही भोपाल में भी औरतों की शरीयत अदालत शुरू करने जा रहा है। अभी ऐसी अदालतें देश में चार स्थानों पर हैं।
अगर किसी मुस्लिम महिला का पति शराबी है और उसमें कमियां है। वह बीमार या अक्षम है तो मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक दे सकती है। लेकिन इसकी शर्त यह है कि वह निकाह के दौरान अपने पति से इस तरह का करारनामा कर लिया हो। शरीयत के हवाले से दरगाह आला हजरत दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम के मुफ्ती सलीम नूरी ने हाल ही में एक फतवा जारी कर यह बात साफ की है और तफवीजे़ तलाक कहे जाने वाले इस हक की शर्तें भी बतायी हैं। अब तक यही आम धारणा थी कि तलाक का हक सिर्फ पति को है महिला तलाक नहीं दे सकती।
मुसलमान औरत के दिल में आजादी की तड़प की थाह लेने की जब-जब कोशिश की गई है तो भीतर ज्वालामुखी की तपिश को महसूस किया गया। वे भी यह जताने को बेसब्र हैं कि वे भी मुकम्मल आजादी की तलबगार हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनके शौहर को एक से अधिक निकाह करने का हक हो। वे तलाक-तलाक-तलाक यानी मुंह जबानी तलाक के खिलाफ हैं।
मौजूदा सरकार बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में समान सिविल कोड लाने की बात कही गई। इसके चलते इस कोड का जिक्र बार-बार उठता है। लेकिन समान सिविल कोड को लाने की बात करने वालों के असल इरादे कोई नहीं जानता! भारतीय जनता पार्टी या फिर उनकी सरकार ने कभी स्पष्ट भी नहीं किया कि इस कोड के क्या प्रावधान होंगे, इसमें कौन-कौन सी धाराएं इत्यादि शामिल होंगी, किस धर्म के आधार पर समान सिविल कोड के प्रावधान तय कि ए जाएंगे।
18 मई को हजारीबाग (बिहार) में जन्म। हिंदी में स्वर्ण पदक के साथ गोवा विश्वविद्यालय से एम ए। अनकही, तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी, कायान्तर (कहानी संग्रह)। औरत जो नदी है, साथ चलते हुए और इकबाल (उपन्यास)। तम्हारे लिए (कविता संग्रह)। आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण। कहानियों के लिए युवाकथा सम्मान (सोनभद्र) 2012
हमारी मांग है कि जमीन ली जाए लेकिन कॉरपोरेट के लिए नहीं बल्कि किसानों के लिए। जमीन ली जाए ताकि किसान औरतों के पक्ष में जमीन का पुनर्वितरण हो। खेती नहीं रहेगी, देश के पास अनाज नहीं रहेगा तो मेक इन इंडिया के नारे का ढोल कैसे बजेगा और कौन बजाएगा। यह कहना था भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव एनी राजा का।