जकिया ने कहा कि उन्होंने शरीयत अदालत इसलिए शुरू की क्योंकि उन्हें लगा कि पुरुष प्रधान शरिया कोर्ट में महिलाओं की सुनवाई नहीं हो रही है। शरीयत अदालत को उन्होंने जेंडर जस्टिस की रोशनी में चलाने की पहलकदमी की। अभी ये अदालतें मुंबई, चेन्नई, जयपुर और अहमदाबाद में हैं। भोपाल में भी ऐसी अदालत शुरू करने की तैयारी है।
जकिया ने बताया कि उन्होंने निकाहनामा का एक फॉर्मेट तैयार किया है जिससे महिलाओं को ज्यादती से बचाया जा सकेगा। इसमें महिला-पुरुष के परिवारों की और स्थायी पते आदि का सारा विवरण होता है। इसमें पुरुष यह लिखता है कि उसकी पहले से पत्नी नहीं है, इसमें मेहर की राशि लिखी होती है। इस पर दोनों तरफ से दो-दो गवाहों के दस्तखत होते हैं। आमतौर पर निकाहनामा में मेहर की रकम नहीं लिखी होती और पुरुष कभी भी तीन तलाक कहकर महिला को बेसहारा कर देता है।
उन्होंने कहा कि अपने आंदोलन के 10 साल के सफर के बारे में जकिया कहती हैं कि कुरान ने महिलाओं के साथ नाइंसाफी नहीं की है बल्कि उसमें जेंडर जस्टिस का प्रावधान है जिसे दबाया गया।
गौर हाेे कि तीन तलाक पर पाबंदी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही जकिया आजकल सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार का सामना कर रही हैं। जकिया ने कहा कि हमारी आवाज दबाने के लिए अब हम पर व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। जकिया ने कहा कि सोशल मीडिया पर मेरे और दूसरी महिला साथियों के खिलाफ गंदे संदेश भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतों का हम पर लेकिन कोई असर नहीं होगा।