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पिछड़ा वर्ग आरक्षण सरकार के लिए चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के एक मुद्दे ने देश की सियासत ही बदल दी। चुनाव के दौरान जिस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा के बयान की जो मतदाताओं में प्रतिक्रिया हुई, उसे देखते हुए भाजपा और राजग के साथ खड़े पिछड़े वर्ग के नेता सियासी अहमियत समझ अब इस वर्ग के हितों की बात खुलकर करने लगे हैं। हालांकि भाजपा नेताओं ने बार-बार इस बात को दुहराया कि आरक्षण की समीक्षा नहीं की जाएगी लेकिन इसका खास सियासी असर नहीं पड़ा।
पिछड़ा वर्ग आरक्षण सरकार के लिए चुनौती

भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पिछड़े वर्ग से जुड़े सांसद और नेता इस बात को स्वीकारते हैं कि समय रहते अगर पार्टी ने आरक्षण को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया तो आने वाले दिनों में बड़ा नुकसान हो सकता है। भाजपा और राजग से जुड़े पिछड़े नेताओं की पीड़ा है कि सरकार अपने सियासी फायदे के लिए पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में ही अन्य जातियों को शामिल करने की बात करती है। इस वजह से पार्टी को ज्यादा नुकसान हुआ। भाजपा ने बिहार में जीत के लिए कई प्रयोग किए। मसलन दलित वोट के लिए लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को साथ लिया और कुशवाहा वोटों के लिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा को। महादलित वोट के लिए जीतनराम मांझी का सहारा लिया। लेकिन सब बुरी तरह से फ्लाप हो गए।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अब पिछड़ा वर्ग के नेताओं के साथ मंच साझा करने में जुटे हैं। इसलिए दिल्ली में आयोजित पिछड़ा वर्ग एकता रैली में कुशवाहा कई सांसदों के साथ पहली पंक्ति में नजर आए। कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी की अगुवाई में आयोजित इस सम्मे‍लन में कई मौजूदा और पूर्व सांसदों ने शिरकत की। उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि यदि पिछड़ा वर्ग एकजुट हो जाए तो इसकी संख्या‍ 85 फीसदी हो जाती है जो कि बहुत बड़ी ताकत है। कुशवाहा भाजपा के सहयोगी दल से सांसद हैं इसलिए वह किसी के खिलाफ एकजुटता की बात नहीं करते हैं बल्कि यह कहते हैं कि हमारी एकता से समाज की भलाई होगी। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा अपनी ही जाति का वोट भाजपा को नहीं दिलवा पाए। उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा भी पिछड़े वर्ग की वकालत करते हैं। कुशवाहा का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी पिछड़े वर्ग से आते हैं इसलिए पार्टी के सामंतदवादी सोच के अगड़े नेता उन्हें काम नहीं करने देना चाहते। कुशवाहा कहते हैं कि भाजपा के अधिकांश मंत्री पिछड़े वर्ग के सांसदों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। वहीं सांसद राजकुमार सैनी तो अपनी ही सरकार के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। वह कहते हैं कि अगर भाजपा का रवैया पिछड़े वर्ग को लेकर ठीक नहीं हुआ तो पार्टी का वही हाल होगा जो कांग्रेस का हुआ। 

दरअसल, यह सारी लड़ाई पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में जाट समुदाय को आरक्षण दिए जाने के कारण है। हालांकि अदालत में पिछड़े वर्ग के नेताओं की जीत हुई लेकिन सरकार जाटों को भी नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए जाट आरक्षण को लेकर अभी कोई साफ रुख नहीं है। पिछड़े वर्ग के नेताओं को इसी बात की चिंता है कि सरकार अपने वोट बैंक के लिए कुछ भी कर सकती है। राजकुमार सैनी पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में से जाटों को आरक्षण दिए जाने के पूरी तरह खिलाफ हैं। सैनी कहते हैं, 'हम जाटों को अपने हकों पर डांका डालने नहीं देंगे।’ लेकिन जाट आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी में हैं। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष यशपाल मलिक कहते हैं कि अगर सरकार ने जाट आरक्षण को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया तो एक बार फिर आंदोलन होगा। वहीं राजकुमार सैनी के बयानों को लेकर केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि भाईचारा बिगाडऩे से बचने के लिए ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। जो भी हो, केंद्र सरकार के लिए जाट आरक्षण और पिछड़ा वर्ग आरक्षण दोनों ही एक चुनौती के रूप में दिख रहे हैं। कभी उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री रहे पिछड़े वर्ग के नेता अशोक यादव कहते हैं कि भाजपा कभी पिछड़े वर्ग की हिमायती नहीं रही है। पिछड़े वर्ग का केवल सियासत के लिए भाजपा ने उपयोग किया। यादव के मुताबिक आज पिछड़े वर्ग को अपनी लड़ाई खुद लडऩी होगी। पिछड़े वर्ग के आरक्षण को लेकर जहां उसके सांसद और नेता एकजुटता दिखा रहे हैं वहीं जाट और पटेल समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग ने सरकार को संकट में डाल दिया है। जिस तरह से आरक्षण पर सियासी तानाबाना बुना जा रहा है उसे लेकर जानकार मानते हैं कि आरक्षण का जिन्न एक बार फिर सरकार को संकट की स्थिति में खड़ा कर सकता है।

 


'कांग्रेस की तरह भाजपा का हाल न हो जाए’
कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी से बातचीत के प्रमुख अंश-

आखिर बार-बार पिछड़ा वर्ग को अपनी ताकत क्यों‍ दिखानी पड़ रही है?
पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को एक मजाक बना दिया गया है। कोई भी सरकार आती है बस वह अपना फायदा देखती है। पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण में ही और जातियों को आरक्षण दिए जाने का काम किया जाता है। इसमें संविधान के तहत मिले अधिकारों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है।
आप हरियाणा से सांसद हैं और राज्य में आपकी पार्टी की सरकार है। आप पार्टी के मंच पर यह मुद्दा क्यों‍ नहीं उठाते?
जब हमारी बात नहीं सुनी जाती है तभी हमें अपनी ताकत दिखानी पड़ती है। हरियाणा में कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के हितों को नजरअंदाज किया इसलिए उसका बुरा हस्र हुआ। अगर भाजपा ने भी पिछड़े वर्ग के हितों की अनदेखी की जो कांग्रेस का हाल हुआ वही भाजपा का हो जाएगा।
लेकिन केंद्र में भी तो भाजपा की सरकार है आप प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी मांग क्यों‍ नहीं रखते?
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण ही पिछड़ा वर्ग भाजपा के साथ जुड़ा है। लेकिन पार्टी के कई नेता नहीं चाहते कि पिछड़े वर्ग को उसका अधिकार मिले। बिहार चुनाव में भाजपा ने पिछड़े वर्ग की अनदेखी कि और परिणाम सबके सामने रहा।
आपकी अगली रणनीति क्या‍ होगी?
अगर पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय होगा तो इसमें शामिल सभी जातियों को एकजुट कर पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा। हमारी जितनी ताकत है उतना हमें अधिकार मिलना चाहिए। 2019 के लोकसभा चुनाव में जो भी पार्टी पिछड़ा वर्ग के हितों का ध्यान रखेगी हम उसके साथ होंगे।
क्या‍ आपके अभियान में पिछड़े वर्ग के सभी नेता एकजुट हो जाएंगे?
बिल्कुल होंगे। हमने दिल्ली में जो रैली की उसमें कई नेताओं ने मंच साझा किया और कईयों ने आने वाले दिनों में हमारे अभियान से जुडऩे के लिए स्वीकृति दी है।

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