पचौरी की ओर से न्यायमूर्ति एस पी गर्ग के समक्ष दायर जमानत याचिका को सूची से हटा दिया गया था क्योंकि उन्हें राहत के लिए निचली अदालत से संपर्क करना है।
उच्च न्यायालय स्टाफ ने कहा कि पचौरी की जमानत याचिका को गलती से अधिसूचित कर दिया गया था क्योंकि उन्हें आज तक के लिए अंतरिम सुरक्षा देते हुए न्यायाधीश ने पहले ही उनसे नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रूख करने के लिए कह दिया था।
जांच के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के भय से अग्रिम जमानत के लिए पचौरी ने उच्च न्यायालय का रूख किया था। इसके बाद न्यायमूर्ति गर्ग ने 19 फरवरी को पचौरी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
इससे पहले आदेश जारी करते हुए अदालत ने उनके आवेदन का निबटारा कर दिया था। उसके बाद पचौरी को जमानत याचिका लेकर निचली अदालत के न्यायाधीश के समक्ष जाना है।
उच्च न्यायालय ने 19 फरवरी को अपने पूर्व के आदेश में बदलाव कर दिया, जिसमें मीडिया घरानों को द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के महानिदेशक राजेंद्र कुमार पचौरी के खिलाफ शहर के एक थिंकटैंक की शोध विश्लेषक द्वारा लगाए गए आरोपों को छापने से रोका गया था।
मीडिया को इस मामले के बारे में छापने से रोकने के आदेश की मांग करने वाले पचौरी ने सभी आरोपों से इंकार किया और कहा कि वह हैकिंग के शिकार रहे हैं।