भ्ाारत की कम्युुनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने सुधा भारद्वाज, वरवर और गौतम नौलखा जैसे सामाजिक-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि पुलिस भीमा-कोरेगांव की घटना के बाद से ही दलित अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है।
Ever since the Bhima Koregoan violence against Dalits, the Maharashtra Police along with central agencies have been targeting dalit rights activists and lawyers who have been taking up their cases. This is a brazen attack on democratic rights & civil liberties. pic.twitter.com/rqW3XzQEcx
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) August 28, 2018
पार्टी ने एक बयान में कहा, “माकपा पुलिस द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी बुद्धिजीवियों के घरों पर छापेमारी का सख्त विरोध करती है। दलितों के खिलाफ भीमा-कोरेगांव की हिंसक घटना के बाद से ही महाराष्ट्र पुलिस केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे दलित अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है, जो इन मुद्दों को उटा रहे हैं। उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।”
उधर, इतिहासकार और सम्मानित बुद्धिजीवी रामचंद्र गुहा ने इस मामले में ट्वीट किया, “महात्मा गांधी के जीवनीकार के नाते मुझे यह रत्ती भर संदेह नहीं है कि अगर महात्मा आज होते, तो वे फौरन अपनी वकालत का जामा पहनकर सुधा भारद्वाज के बचाव में अदालत में खड़े हो जाते, बशर्ते यह मान लें कि मोदी सरकार ने खुद महात्मा को ही अब तक हिरासत में नहीं ले लिया होता और गिरफ्तार नहीं कर लिया होता।”
लेखिका और दलित अधिकार कार्यकर्ता अरुंधति राय ने इस पूरे मामले में मोदी सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा, “यह आपातकाल की घोषणा करने के करीब जैसा है। चुनाव आने वाले हैं और यह भारतीय संविधान के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की तरह है।"
बता दें कि पुलिस ने मंगलवार को मुंबई, दिल्ली, रांची, गोवा और हैदराबाद में छापेमारी की और सुधा भारद्वाज, वरवर राव तथा पत्रकार गौतम नौलखा जैसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। पुलिस ने छापेमारी के दौरान उनके घरों से कुछ कागजात, मोबाइल और लैपटॉप भी अपने कब्जे में लिया है।