एचआरडी ने कुलपति के खिलाफ विश्वविद्यालय में कदाचार और कर्तव्य में लापरवाही बरतने का मामला बनाते हुए उन्हें बर्खास्त करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में भेजा था जिसे राष्ट्रपति ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इसकी सूचना सरकार को दे दी गई है और जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया जाएगा।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सितंबर 2011 में दत्तागुप्ता को इस पद पर नियुक्त किया था लेकिन बर्खास्त किए जाने के कारण अब उन्हें सात माह पहले ही यह पद छोड़ना पड़ेगा। एचआरडी मंत्रालय ने जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कुलपति को चार मामलों में दोषी पाया था जिनमें 25 अवैध नियुक्तियां करने, विश्व भारती से अपना वेतन लेने के अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से भी पेंशन पाते रहने और अपने शराब का खर्च भुगतान कराने का मामला भी शामिल है। कुलपति को हटाने को लेकर एचआरडी मंत्री और स्मृति ईरानी और राष्ट्रपति भवन के बीच लंबे समय तक गहमागहमी भी चलती रही और राष्ट्रपति ने नवंबर 2015 में उन्हें बर्खास्त करने पर अनौपचारिक रूप से अपनी अनिच्छा भी जताई थी।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति भवन चाहता था कि सरकार दत्तागुप्ता की बर्खास्तगी संबंधी फाइल वापस ले ले और उनका इस्तीफा स्वीकार कर ले जिसे कुलपति ने 30 सितंबर 2015 को ही ई-मेल के जरिये भेज दिया था। सूत्रों के मुताबिक ईरानी कुलपति को बर्खास्त करने के मामले में नरम पड़ना नहीं चाहती थीं क्योंकि बर्खास्त करने का प्रस्ताव कानून मंत्रालय और अटार्नी जनरल की जांच के बाद भेजा गया था। ऐसे में ईरानी का मानना था कि कुलपति यदि इस्तीफा देते हैं तो यही संदेह जाएगा कि कुलपति ने कुछ भी गलत नहीं किया बल्कि सरकार की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।