न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने कहा कि प्रथम दृष्टया हार्दिक के खिलाफ देशद्रोह का मामला बनता है क्योंकि उसने एक युवक को सलाह दी थी कि वह पुलिसकर्मियों को जान से मार डाले। अदालत ने यह फैसला आरोपी के पिता भरत पटेल की उस याचिका पर सुनवाया, जिसमें उन्होंने हार्दिक के खिलाफ दर्ज देशद्रोह की प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था।
अदालत ने कहा, किसी व्यक्ति को हिंसा करने के लिए कहना और समाज में शांति भंग करना देशद्रोह है। देशद्रोह के आरोप को हटाने से इंकार करते हुए अदालत ने कहा, जांच जारी है और जांच के अंत में तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। अदालत ने कहा, पाटीदारों के लिए शांतिपूर्ण तरीकों से आरक्षण की मांग के रास्ते खुले हैं लेकिन सार्वजनिक शांति को खतरे में डालने का कोई भी कृत्य स्वीकार्य नहीं है।