इसके बाद उनमें से भी टीमें छांटी जाएंगी और आखिरकार कुछ टीमों का फाइनल चयन होगा। फाइनल में चुनी गई कर्मचारियों और अफसरों की टीमें 18 से 20 नवंबर के बीच तीन दिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपना प्रेजेंटेशन देंगी। इसके बाद पीएम को जो प्रस्ताव पसंद आएगा उसके आधार पर काम शुरू किया जाएगा।
रेलवे के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेल कर्मचारियों से सीधे बातचीत करना चाहते हैं। इसके लिए रेलवे ने अपने कर्माचारियों से सुझाव मांगे गए। रेलवे ने यह कवायद पिछले माह रेलमंत्री सुरेश प्रभु के सुझाव पर शुरू की थी। प्रभु का कहना था कि रेलवे की अपनी 13 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की फौज है। ऐसे में क्यों न उनसे सुझाव मांगे जाएं।
रेलवे ने अपने सभी कर्मचारियों से यह कहकर आइडिया मांगे कि अगर उन्हें एक दिन के लिए रेलमंत्री बना दिया जाए तो वे रेलवे में किस स्तर पर और कैसा सुधार करना चाहेंगे। एक सुझाव यह आया है कि रेलवे की सभी लाइनों का इलैक्ट्रिफिकेशन कर दिया जाए। जिससे एक जैसा ऑपरेटिंग सिस्टम हो जाएगा। प्रदूषण और डीजल का खर्च भी कम होगा। इसकी जगह बिजली का खर्च कुछ बढ़ेगा लेकिन उससे प्रदूषण नहीं होगा।