अकाल तख्त के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह और जानेमाने शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे सादिक सहित धार्मिक नेताओं ने इस संबंध में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन को एक प्रस्ताव सौंपा। सभी धार्मिक नेता लेह के सिंधु दर्शन घाट पर यूनिसेफ-भारत और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस (जिवा) की ओर से आयोजित समारोह में हिस्सा लेने यहां आए हैं। प्रस्ताव में कई गतिविधियों जैसे... औद्योगिक कचरा, नगर निकायों के कचरे और रसायनों की सूची बनायी है जिनसे नदी जल प्रदूषित हो रहा है, लेकिन उसमें धार्मिक कर्मकांडों और अस्थि विसर्जन को नहीं जोड़ा गया है। इस संबंध में प्रश्न का उत्तर देते हुए गंगा एक्शन परिवार के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि गंगा का 70-80 प्रतिशत प्रदूषण नगर निकायों के कचरे से है। उसके अलावा 15 प्रतिशत औद्योगिक कचरा है और इसके बाद भारी मात्रा में नगर निकायों का ठोस कचरा है।
उन्होंने कहा, लोगों के छोटे और सामान्य रूप से जैव-अपघटीय पूजा सामग्री पर कानून बनाने के स्थान पर, बेहतर होगा यदि समुदाय आधारित गंगा संरक्षण कार्यकर्ताओं तथा पंथ के नेताओं के साथ मिलकर नए रिवाज शुरू किए जाएं.. जैसे अस्थियों और गंगाजल की मदद से पेड़ लगाना, गंगाजल से भरे कुंडों और बड़े तालाबों में विसर्जन तथा पूजन सामग्री डालना आदि।
भाषा