मुगल शासकों और उनकी विरासत के बाद अब एक और मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।
इसकी शुरुआत हाल ही में केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री बने अनंत कुमार हेगड़े के एक ट्वीट से हुई है। उन्होंने ट्वीट किया, “बर्बर हत्यारे, कट्टरपंथी और दुष्कर्मी के महिमामंडन के लिए आयोजित होने वाले शर्मनाक कार्यक्रम में नहीं बुलाने के लिए कर्नाटक सरकार से कहा है।“
Conveyed #KarnatakaGovt NOT to invite me to shameful event of glorifying a person known as brutal killer, wretched fanatic & mass rapist. pic.twitter.com/CEGjegponl
— Anantkumar Hegde (@AnantkumarH) October 20, 2017
हेगड़े ने इस संबंध में कर्नाटक के मुख्य सचिव और उत्तरी कन्नडा के उपायुक्त को पत्र लिखकर भी 10 नवंबर को आयोजित होने वाली टीपू सुल्तान की जयंती कार्यक्रम में अपना नाम शामिल नहीं करने को कहा है। हेगड़े उत्तरी कन्नडा से ही भाजपा के सांसद हैं। हेगड़े के सुर में सुर मिलाते हुए कर्नाटक से ही भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने टीपू सुल्तान को कन्नड़ विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि टीपू हिन्दू विरोधी था, इसलिए उसकी जयंती नहीं मनाई जानी चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हेगड़े के बयान की आलोचाना करते हुए कहा है कि इसे बेवजह राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। सरकार का हिस्सा होते हुए हेगड़े को इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए। टीपू जयंती कार्यक्रम का आमंत्रण सभी केंद्रीय और राज्य के नेताओं को भेजा जाता है। आना या न आना उनके ऊपर निर्भर करता है।
टीपू सुल्तान 18वीं सदी में मैसूर साम्राज्य का शासक था। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2015 में उसकी जयंती मनाने का फैसला किया था। मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति बताते हुए आरएसएस और विहिप शुरुआत से ही इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। इस आयोजन के विरोध में हर साल पूरे प्रदेश में प्रदर्शन भी होते हैं। गौरतलब है कि कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।