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ओणम की मान्यता पर सवाल उठा कर आरएसएस ने खड़ा किया विवाद

केरल में ओणम मनाने की तैयारी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस त्यौहार से जुड़ी किवदंती पर सवाल खड़ा कर नया विवाद पैदा कर दिया है। संघ के मुखपत्र केसरी में छपे एक लेख में ओणम मनाए जाने की मान्यता पर सवाल खड़ा किया गया है।
ओणम की मान्यता पर सवाल उठा कर आरएसएस ने खड़ा किया विवाद

केसरी के ओणम विशेषांक में छपे एक लेख में दावा किया गया है कि यह त्यौहार दैत्यराज महाबलि की गृहवापसी पर मनाया जाने वाला त्यौहार नहीं बल्कि भगवान विष्णु के अवतार वामन के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है। लेख में कहा गया है कि किसी भी पौराणिक ग्रंथ में ऐसा उल्लेख नहीं है कि वामन ने महाबलि को छल से पाताल लोक भेज दिया था और वह हर साल अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। लेख में छपे इस दलील का विरोध करते हुए वरिष्ठ भाकपा नेता और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के. के. श्यालजा ने कहा कि ओणम जाति, पंथ और धर्म से उठकर मनाया जाता है और आरएसएस का प्रयास फिर से उच्च जाति के प्रभुत्व को वापस लाने का है।

भाकपा नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस इस त्यौहार पर कब्जा करना चाहता है, यह उसके एजेंडे में शामिल है। केरल में प्रचलित मान्यता है कि मलयालम महीने चिंगम में अपनी प्रजा से मिलने महाबलि वहां आते हैं। महाबलि की गृहवापसी को केरल में हर साल 'तिरु ओणम' के रुप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 14 सितंबर को मनाया जाएगा। हालांकि संघ की पत्रिका केसरी में उन्नीकृष्णन नंबूतिरि के छपे लेख में दलील दी गई है कि ओणम मूल रूप से वामन भगवान के जन्मदिन पर मनाया जाता था न कि दैत्यराज की गृहवापसी की खुशी में। पत्रिका में छपे इस लेख को लेकर स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ आम लोगों में भी रोष देखा जा रहा है। 

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