आरएसएस के सचिव और कार्यकारी प्रमुख भैयाजी जोशी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हिंदू भावनाओं को ध्यान में रखकर राम मंदिर पर निर्णय देगा।
राम मंदिर मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा “राम सबके हृदय में रहते हैं पर वो प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा। हम चाहते हैं कि मंदिर बने. काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिंदू भावनाओं को समझकर निर्णय देगा।“ पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल कि जिस तरह का आंदोलन 1992 में किया गया था क्या उस तरह का आंदोलन भी किया जाएगा, इसके जवाब मे उन्होंने कहा कि “आवश्यकता पड़ी तो (आंदोलन) करेंगे।“
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर मामले की सुनवाई जनवरी तक टालने पर भाजपा और सहयोगी संगठनों के सामने एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। एक तरफ एक दिन पहले ही भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राम मंदिर निर्माण के लिए निजी विधेयक लाने का ऐलान कर चुके हैं वहीं अब आरएसएस को इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी है।
भैयाजी ने कहा कि राम मंदिर पर दीपावली से पहले खुशखबरी की उम्मीद थी लेकिन अब मामला अनिश्चितकाल के लिए टल गया है। ऐसे में अगर मंदिर निर्माण के लिए कोई रास्ता नहीं बचेगा तो कानून की एकमात्र रास्ता है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल दी
गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल दी। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू संगठनों की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाया जा रहा है।
केंद्र में स्पष्ट बहुमत की सरकार और यूपी में अबतक की सर्वाधिक मजबूत स्थिति को इंजॉय कर रही बीजेपी पर इस दबाव का जवाब देने का भी दबाव है। हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि राम मंदिर पर कानून बनाने की राह इतनी आसान नहीं है, कई अड़चनें हैं।