सुप्रीम कोर्ट ने आज आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के तहत एडमिशन और काउंसलिंग पर रोक लगा दी है। साथ ही, कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को भी निर्देश दिए हैं कि IIT-JEE से जुड़े किसी भी याचिका को कोर्ट न तो स्वीकारे और न ही उस पर सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी अभ्यर्थियों को ग्रेस अंक दिए जाने को लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिसरा और ए एम खानविलकर की बेंच ने यह आदेश सभी अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर जारी किया है। जस्टिस दीपक मिसरा और ए एम खानविलकर की बेंच ने देश के सभी हाईकोर्ट को भी निर्देश दिए हैं, कि वो आईआईटी-जेईई के काउंसिलिंग और एडमिशम से जुड़ी किसी भी याचिका की सुनवाई न करे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश तुरंत प्रभाव से प्रभावी हो गया है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टॉपर लिस्ट पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को भी तलब की है, जिन पर हाईकोर्ट में मामले चल रहे हैं। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आईआईटी मद्रास से पूछा था कि आईआईटी-जेईई परीक्षा में उन छात्रों को ग्रेस मार्केस क्यों दिए गए, जिन्होंने ‘गलत प्रश्नों’ को हल करने का प्रयास ही नहीं किया।
न्यायमूर्ति अभय मोहन सप्रे और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अवकाशकालीन पीठ ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय और आईआईटी मद्रास से पूछा है कि प्रवेश परीक्षा में ऐसे छात्रों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए, जिन्होंने गलत छपे प्रश्नों को हल करने का प्रयास ही नहीं किया। दोनों को एक हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा था। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला आया है।