सीपीआई (एम) के जनरल सेक्रेटरी सीतारम येचुरी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। पत्र में येचुरी ने कश्मीर में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने, वहां के संचार माध्यमों से प्रतिबंध हटाने, लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली और राज्य के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने पर वहां की जनता से किए गए वादों को याद दिलाया।
पत्र में प्रमुखता से उठाया नजरबंदी का मुद्दा
येचुरी ने पत्र में लिखा, संसद द्वारा स्वीकृत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को अचानक निरस्त कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर पर कई तरह के प्रतिबंध थोप दिए गए। इस घटना को छह महीने हो चुके हैं। 4-5 अगस्त 2019 की मध्यरात्रि में हजारों लोगों को हिरासत में ले लिया गया था। उनमें से कई जम्मू-कश्मीर की बाहरी जेलों में बंद है। कुछ लोगों को अलग-अलग जगहों पर उन्हीं के घरों में नजरबंद कर दिया गया है। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो पहले केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तक रह चुके हैं। फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ये तीनों राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मोहम्मद युसुफ तारीगामी चार बार के निर्वाचित विधायक रह चुके हैं। इनके अलावा कई और ऐसे लोग हैं।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात याद दिलाई
येचुरी ने लिखा है कि “मैं आपको यह पत्र यह मांग करने के लिए लिख रहा हूं कि हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए और उन्हें भारतीय संविधान जिस स्वतंत्रता की गारंटी देता है उन्हें वह स्वतंत्रता दी जाए। साथ ही संचार प्रतिबंधों को समाप्त कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल किया जाए। इस सारे घटनाक्रम ने इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसका लोगों को बहुत दुख है। मेरा मानन है कि राज्य के भारतीय संघ में प्रवेश के समय लोगों से किए गए वादों का सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे आशा है कि आप इस मसले पर गंभीरता से विचार करेंगे।