28 सितंबर तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक होने वाली बारिश सामान्य से चौदह फीसदी कम है। देश के 295 जिलों में बारिश का स्तर गंभीर रूप से कम रहा है। यह जिले देश की कुल जमीन का 39 फीसदी हैं। मराठवाड़ा के साथ मध्य- पूर्वी उत्तर प्रदेश इस संकट से जूझ रहा है। पिछले सौ सालों में पहले ऐसा सिर्फ दो बार ही हुआ है कि लगातार दूसरे साल सूखा पड़ा हो।
स्वराज अभियान से जुड़े अनुपम का कहना है कि अगर मौसम विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो इस ‘अल नीनो’ प्रभाव (जिसकी वजह से सूखे की यह स्थिति बनी है) के अप्रैल 2016 तक जारी रहने की आशंका है। इसका मतलब है कि सूखे की यह स्थिति मौजूदा खरीफ की फसल के साथ रबी की आने वाली फसल पर भी असर डालेगी।
स्वराज अभियान से जुड़े राजीव गोदारा का कहना है कि हमारे सामने एक राष्ट्रीय संकट है, जिसे अब तक न तो सरकारों ने स्वीकार किया है और न मीडिया ने मुख्य मुद्दा बनाया है। शहरी लोग इस स्थिति से ज्यादा वाकिफ नहीं और ग्रामीण लोग इसे अपने क्षेत्र का स्थानीय संकट मान रहे हैं। गोदारा के अनुसार संकट की इस घड़ी में सारे देश को एक होना चाहिए।
इस उद्देश्य से "जय किसान आंदोलन" देश में सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की यात्रा करेगा और निवारण भी खोजेगा। इस यात्रा में सामजिक कार्यकर्ता, लेखक, कलाकार आदि सभी होंगे। यब यात्रा गांव-गांव जाएगी और प्रभावित व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों से बात करेगी। यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस गंभीर समस्या को राष्ट्रीय पटल पर प्रभावी ढंग से रखना है।
संवेदना यात्रा दो अक्टूबर को उत्तरी कर्नाटक से शुरू होकर तेलंगाना, मराठवाड़ा, बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त इलाकों से होते हुए 15 अक्टूबर को दक्षिण हरियाणा में खत्म होगी। यह यात्रा एक पखवाड़े में 7 राज्यों के 25 जिलों से होती हुई लगभग 3500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस दौरान जन सुनवाई का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें समाज के विविध क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाएगा। योगेंद्र यादव और जय किसान आंदोलन के साथियों के अलावा इस संवेदना-यात्रा में देश के विविध क्षेत्रों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने अपनी भागीदारी की पुष्टी की है जिनमें पूर्व राज्यपाल और राजनयिक गोपाल कृष्ण गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, फोटोग्राफर रघु राय, गायक रब्बी शेरगिल आदि शामिल हैं।