गौरतलब है कि केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नई विज्ञापन नीति जारी की है। इस तहत नई अंक व्यवस्था लागू की गई है। डीएवीपी द्वारा जारी नई नीति में अंकों के आधार पर अखबारों को विज्ञापन सूची में प्राथमिकता दी गई है। इसमें 45 हजार प्रसार संख्या से अधिक वाले समाचार पत्रों के लिए एबीसी (ऑ़डिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन) और आरएनआई का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया है। एबीसी के तहत बड़े अखबार वालों का पैनल छोटे-मध्यम अखबारों की प्रसार संख्या की जांच करेगा, जिसके लिए 25 अंक रखे गए हैं। कर्मचारियों को पीएफ देने पर 20 अंक, समाचार पत्र की पृष्ठ संख्या के आधार पर 20 अंक, समाचार पत्र द्वारा तीन एजेंसियों के लिए 15 अंक, खुद की प्रिंटिंग प्रेस होने पर 10 अंक और प्रसार संख्या के आधार पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की फीस जमा करने पर 10 अंक दिए गए हैं । इस तरह 100 अंकों का वर्गीकरण किया गया है। जिन अखबारों को 46 से कम अंक मिलेंगे वे विज्ञापन लेने के हकदार नहीं होंगे जबकि वे डीएवीपी के पैनल में रहेंगे। वर्तमान में 90 फीसदी छोटे अखबार इन शर्तों को पूरा नहीं कर सकते। नई नीति के लागू होने से बड़े राष्ट्रीय और प्रादेशिक अखबारों को ही अब केंद्र एवं राज्य सरकारों के विज्ञापन जारी हो सकेंगे।
आज जंतर-मंतर पर इन अखबार वालों के समर्थन में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद चौधरी मुन्नवर सलीम भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की यह नीति लोकतंत्र पर हमला है। इस प्रकार से समाज के दबे-कुचले वर्ग के लोग और दबे रहेंगे। मुन्नवर सलीम ने इस सिलसिले में संसद में सवाल भी किया है। धरने में शामिल हुए उर्दू के रोजाना अखबार हिंद न्यूज के संपादक अब्दुल माजिद निजामी ने बताया कि हम इस नीति के किसी भी क्लॉज से सहमत नहीं हैं। सरकार को यह पूरी की पूरी नीति वापिस लेनी होगी। धरने में कांग्रेसी नेता जेपी अग्रवाल भी शामिल हुए थे।