मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने आज दिल्ली में आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम में कहा, हम मुस्लिम समाज की बुराईयों को लेकर 20-25 साल से बोल रहे हैं। मेरा मानना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ मेरे समुदाय का सबसे बड़ा दुश्मन है। तीन तलाक को तुरंत बंद होना चाहिए। समान नागरिक संहिता पर सरकार ड्राफ्ट लोगों के सामने लाए और इस पर एक साल तक बहस कराए। उन्होंने कार्यक्रम में कहा, किसी भी तरह का मतभेद होने पर भारतीय संविधान के अनुरूप फैसला हो। हम मुल्लाओं से लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इस मामले में राजनीतिक नेता न ही बोलें तो बेहतर होगा। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, अभी तक इस्लाम खतरे में था और आज हिन्दू धर्म भी खतरे में आ गया है। मुझे लगता है कि वर्तमान दौर में फिल्म शोले का भगवान शंकर वाला दृश्य लिखूंगा तो हंगामा हो जाएगा, जिस पर उस वक्त तालियां मिली थी। उन्होंने कहा कि विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस देश में बहुत ज्यादा है। इसे दबाने की कोशिश की जा रही है। हर चीज में सही और गलत होता है, लेकिन हमें सच के साथ होना चाहिए।
कार्यक्रम में श्रोताओं से रूबरू होते हुए अख्तर ने कहा, सिनेमा और राजनीति में आज हीरो नहीं है। इस वक्त हम लोग हीरो को खोज रहे हैं। उन्होंने कहा, 1947 के बाद से बहुत कुछ अच्छा हुआ है। हमारी जिंदगी में बहुत फर्क पड़ा है। पिछले तीन दशकों में प्रगति की ट्रेन में बहुत कुछ पीछे छूट गया है। साहित्य, कला, ललित कला को बहुत नुकसान हुआ है। भाषा के गिरने से आपकी जड़ों को नुकसान हुआ है और हमारी रोजमर्रा की कहावतें गायब हुई हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति-समाज-लेखन एक चक्र की तरह है। इसके विषम चक्र को तोड़कर कुछ उसूल बनाने होंगे। उन्होंने कहा कि वे 1970 से गीत और पटकथा लिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने कोई अश्लील गीत नहीं लिखा। फिल्म कुछ कुछ होता है को उन्होंने केवल उसके शीर्षक की वजह से छोड़ दिया था, इसका उन्हें आज भी अफसोस है। उन्होंने कहा कि शायरी सर्वप्रिय होनी चाहिए। कविता की अपनी एक जबान होती है। कविता खुद बताती है कि वह क्या कहती है। पांच सौ और एक हजार रूपये के नोट बंद किए जाने के संबंध में उन्होंने कहा, देश हित के लिए एक दो दिन तकलीफ उठा लें।