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तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं से समर्थन की मांग

‘हम मुस्लिम समुदाय के सामान्य नागरिक, कलाकार,बुद्धिजीवि, लेखक और कवि इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि भारत में मुस्लिम समुदाय विभिन्नताओं , मत-मतांतरों और विषमताओं से भरा है। मुसलमानों का की भी एक संगठन या जन समूह पूरे समुदाय की तरफ से बोलने का दावा नहीं कर सकता है।’ कॉन्सटीट्यूशन क्लब में तीन तलाक, यूनुफॉर्म सिविल कोड और समानता के लिए महिलाओं का संघर्ष विषय पर आयोजित गोष्ठी में यह बात सामने आई। यह गोष्ठी एडवा, अनहद और शिक्षा की ओर से आयोजित की गई थी।
तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं से समर्थन की मांग

गोष्ठी में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, फिल्म मेकर, गौहर रजा, इतिहासकार इरफान हबीब, पत्रकार सीमा मुस्तफा, सेहबा फारूखी, सईदा हामीद,पत्रकार जफ्फरूल इस्लाम खान प्रोग्रेसिव राइटर एसोसिएशन के अली जावेद सरीखे लोगों ने भाग लिया।

गोष्ठी में निकल कर सामने आया कि मनमाने ढंग से दिए जाने वाले तीन तलाक जो कि भारत में प्रचलित हैं, का विरोध किया जाता है और इसे खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं की मांग का समर्थन करते हैं।  मौजूदा शासन व्यवस्था में यूनिफॉर्म सिविल कोड को मुस्लिम समुदाय को डराने और बदनाम करने के एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। गोष्ठी में कहा गया कि अचानक से महिला के सम्मान की जो भावना जागी है जिसे हाल ही में केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने व्यक्त किया है उसपर हमारा भरोसा नहीं है क्योंकि जब से नई सरकार आई है महिलाओं संबंधी बजट में भारी कटौती की गई है। महिलाओं के बारे में एक से एक खराब बातें बोली गई हैं। तीन तलाक के मामले में बोला गया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल कराए गए अत्यधिक आपत्तिजनक शपथपत्र से पूर्ण असहमति व्यक्त करते हैं। 

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