सुप्रीम कोर्ट ने साल 1993-95 में नोएडा में हुए जमीन आवंटन घोटाले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को दोषी माना। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मिली तीन साल की सजा को घटाकर दो साल कर दिया। नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रहते 1994-95 में अपनी बेटियों और डिप्टी सीईओ राजीव कुमार को प्लॉट आवंटित किए थे।
पीटीआई के मुताबिक जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमती की एक पीठ ने इसी मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को भी दोषी माना। कोर्ट ने उन्हें मिली तीन साल कैद की सजा को भी घटाकर दो साल कर दिया। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि साल 1971 के बैच की आईएएस अधिकारी नीरा यादव ने नोएडा में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर रहते हुए नियमों का उल्लंघन किया और एक अहम जमीन को एक उद्योगपति को आवंटित कर दिया था।
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि नीरा ने गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए तय जमीन का इस्तेमाल बदलने के लिए साल 1983 के बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। उन पर नियमों का उल्लंघन करके इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का भी आरोप है। इस घटनाक्रम के दौरान राजीव उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे।
जांच एजेंसी ने कहा था कि नोएडा में सीईओ रहने के दौरान नीरा ने लोकसेवा से जुड़े अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और नियमों का उल्लंघन करके अपने लिए एक जमीन आवंटित करवा लिया। सीबीआई ने कहा था, ‘दायर आवेदन कई तरह से अधूरा होने के बावजूद और इसे योजना के बाद जमा कराए जाने के बावजूद आवंटन कर दिया गया था।'