अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटाने पर बवाल बढ़ गया है। तस्वीर हटाए जाने से नाराज छात्रों ने सिविल लाइंस थाने का घेराव किया। पीटीआई के मुताबिक, इसके बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एएमयू सर्किट पर एएमयू के वीसी का पुतला फूंका था। छात्रों को पुतला फूंकने से रोक रहे एएमयू के सुरक्षा कर्मियों की भी कार्यकर्ताओं ने पिटाई कर दी। इसके बाद एएमयू के छात्र और उग्र हो गए व सड़कों पर उतर आए। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने। आक्रोशित छात्र पुलिस और आरपीएफ के जवानों को धक्का देते हुए सिविल लाइंस पुहंच गए। छात्रों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
हटा ली गई है तस्वीर
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनियन हॉल में लगी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटा दी गई है। हालांकि छात्र यूनियन का कहना है कि फोटो को सफाई के लिए उतारा गया है। छात्र संघ से उपाध्यक्ष सज्जाद सुभान राथर ने कहा कि यूनियन हॉल के डिबेटिंग क्लब में आज हामिद अंसारी का कार्यक्रम है। जिसके चलते कुछ तस्वीरों को सफाई के लिए उतारा गया है।
क्या है पूरा मामला
एएमयू में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर पर बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने सवाल खड़ा किया था।
जिन्ना की यह तस्वीर एएमयू में स्टूडेंट्स यूनियन के हॉल में लगी थी। सांसद गौतम ने सवाल किया था, 'जिन्ना की तस्वीर एएमयू में लगाए रखने की कौन सी मजबूरी बनी हुई है। सब जानते हैं कि जिन्ना देश के बंटवारे के मुख्य सूत्रधार थे।'
वहीं, इस पर एएमयू के पीआरओ शैफी किदवई ने कहा कि 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना एएमयू आए थे और उन्हें तमाम दूसरे लोगों की तरह मानद उपाधि दी गई थी।
छात्र संघ का जवाब
एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी का कहना है कि जिन्ना की तस्वीर छात्र संघ के सेंट्रल हॉल में लगी है, इसलिए सांसद को वीसी की जगह छात्र संघ से सवाल करना चाहिए था। उस्मानी ने कहा, 'एएमयू छात्रसंघ की स्थापना 1905 में हुई थी। ये एक स्वतंत्र संस्था है। 1938 में भारत जब अविभाजित था तब एएमयू छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने जिन्ना को मानद आजीवन सदस्यता से नवाजा था। सबसे पहले ये सदस्यता महात्मा गांधी को दी गई थी। इसी तरह जवाहर लाल नेहरु, सीवी रमण, रबीन्द्र नाथ टैगौर, डॉ राजेंद्र प्रसाद और डॉ बी आर अंबेडकर को भी ये सदस्यता दी गई। सभी की तस्वीरें सेंट्रल हॉल में लगी हैं। उस वक्त समाज और देश के लिए योगदान देने वालों को ये सदस्यता दी गई।' उस्मानी ने ये आरोप भी लगाया कि जो लोग एससी/एसटी एक्ट को हल्का करना चाहते हैं वहीं इतिहास को भी पलटना चाहते हैं।