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जीएसटी पर पश्चिम बंगाल ला सकता है अड़ंगा

जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर पश्चिम बंगाल के ताजे रुख ने राजनीतिक दांवपेंच फिर शुरू होने की आशंका पैदा कर दी है। राज्य सरकार का यह कदम उसके अपने वित्त मंत्री के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला है, क्योंकि जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्षता उन्हीं के पास है। वित्त मंत्रियों की समिति का अध्यक्ष होने के नाते वह ऐसे राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिसने खुद यह विधेयक पारित नहीं किया। वैसे पश्चिम बंगाल के इस कदम को केंद्र के साथ सौदेबाजी की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
जीएसटी पर पश्चिम बंगाल ला सकता है अड़ंगा

जीएसटी को मंजूरी देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने 26 और 29 अगस्त के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। शुक्रवार को इसे स्थगित कर दिया गया। अब सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही होगी। लेकिन तृणमूल सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जीएसटी पारित करने के प्रस्ताव को फिलहाल उसने टाल दिया है। राज्य सरकार का यह कदम चौंकाने वाला है। संसद में तृणमूल कांग्रेस ने जीएसटी विधेयक के पक्ष में मतदान किया था। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जीएसटी को समर्थन की घोषणा कर चुकी थीं। लेकिन अब जबकि संविधान संशोधन विधेयक को 16 विधानसभाओं से मंजूरी की जरूरत है, पश्चिम बंगाल सरकार इससे पीछे हट गई है।

हालांकि, पश्चिम बंगाल के इस फैसले का जीएसटी के भविष्य पर असर नहीं पड़ेगा। नौ राज्य अब तक संसद से पारित इस विधेयक को मंजूरी दे चुके हैं। अब केवल सात राज्यों से अनुमोदन मिलने की जरूरत है। भाजपा शासित महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा और राजस्थान अभी बाकी है। राजग की सत्ता वाले दो राज्यों पंजाब और आंध्र प्रदेश से भी इसे मंजूरी मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और केरल से इसे सितंबर के पहले सप्ताह तक मंजूरी मिलने की संभावना है। 16 राज्यों से विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर कर देंगे। इसके तुरंत बाद जीएसटी काउंसिल का गठन किया जा सकेगा।

माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह फैसला नाराजगी में लिया है। केंद्र ने हाल ही में राज्यों को दिए जाने वाले फंड के इस्तेमाल की निगरानी के लिए एक कमेटी का गठन किया है। पश्चिम बंगाल सरकार इसे राज्यों के कामकाज में हस्तक्षेप के तौर पर देख रही है। आशंका जताई जा रही है कि अन्य राज्य इसे केंद्र के साथ सौदेबाजी के अवसर के रूप में भी ले सकते है।

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