दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा, आपने केवल ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य क्यों बनाया है। पीठ ने केंद्र से इस पर जवाब मांगा है। हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के आवेदन में आधार कार्ड अनिवार्य करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय द्वारा गौर किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि चूंकि आधार कार्ड अनिवार्य किए जाने के खिलाफ दायर पहली प्रार्थना पर शीर्ष न्यायालय गौर करा रहा है, ऐसे में हमें अन्य कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है।
मामले में याचिका दायर करने वाले पश्चिम बंगाल के नसीमुद्दीन एजूकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने कहा कि वह पहली प्रार्थना पर जोर नहीं देंगे लेकिन उस फैसले को चुनौती देंगे जिसमें छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन को अनिवार्य किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रणव सचदेवा ने कहा कि लाखों अल्पसंख्यक छात्र संभवत: ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएंगे। सरकार को ऑफलाइन आवेदन की भी अनुमति देनी चाहिए। हालांकि केंद्र ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले ही इन मुद्दों पर गौर किया है। अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए सात दिसंबर की तारीख तय की है।