‘अच्छे बिजनेस’ की 190 देशों की सूची में भारत 172वें स्थान पर है। विशेष रूप से कर भुगतान की स्थिति में भारत की छवि खराब है। विश्व बैंक के दृष्टिकोण से भारत सरकार ने असहमति व्यक्त की है। वहीं केंद्र सरकार के औद्यागिक नीति एवं प्रमोशन विभाग की ओर से तैयार एक अन्य रिपोर्ट में केंद्र सरकार की नाक के नीचे राजधानी में सुगम बिजनेस की हालत बदतर हो गई है। पिछले वर्षों के दौरान औद्योगिक एवं व्यापारिक कामकाज में सुविधाओं के लिए जहां दिल्ली चौथे स्थान पर थी, वह अब 19वें नंबर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के 340 पैमानों में आधे पर ही अटकी हुई है। खतरे की घंटी यह है कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार कारोबारी स्वीकृतियों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निगमों जैसी मल्टीपल एजेंसियों के बीच तालमेल नहीं होने से स्थिति बिगड़ रही है। मजेदार बात यह है कि केवल तीन वर्ष पहले गठित तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और गुजरात दिल्ली से बहुत आगे और पहले तीन स्थानों पर है। यदि उन राज्यों में बिजनेस और पूंजी निवेश की सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं, तो दिल्ली क्यों पिछड़ रही है। असल में कोई भी देश या पूंजीपति जरूरी लाइसेंस, एनओसी, रजिस्ट्रेशन, जमीन की उपलब्धता के आधार पर ही उद्योग-व्यापार के लिए आगे आते हैं। लेकिन विभिन्न विभागों में खींचातानी, भ्रष्टाचार, बाबुओं की लालफीताशाही के कारण उद्योग-व्यापार से जुड़े लोग धक्के खाते रहते हैं। यह शुभ संकेत नहीं है। आखिरकार विदेशी निवेशक पहले देश की राजधानी आकर आर्थिक एवं व्यापारिक माहौल देखते हैं। इसलिए केंद्र और प्रदेशों की सरकारों को जीएसटी से भी पहले अच्छे तालमेल और छवि सुधार के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।
विश्व बैंक ने बजाई घंटी
अपने घर में शेर बनकर रहने का दावा किया जा सकता है, लेकिन दुनिया के सामने शक्ति प्रदर्शन किए बिना कोई शेर नहीं मानेगा। भारत की आर्थिक स्थिति इस समय उसी तरह है। सरकार विकास दर के आंकड़ों और मेक इन इंडिया के नारे के साथ विभिन्न संपन्न देशों को आमंत्रित कर रही है। लेकिन विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिजनेस करने की स्थितियां खराब हैं और कई अन्य देशों के मुकाबले हम रैंकिंग में पिछड़ गए हैं।
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