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व्यापम घोटाले में एक के बाद एक मौत से बेचैनी

भाजपा के नवनियुक्त महासचिव एवं मध्यप्रदेश के नगर प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में हुई मौत को कथित तौर पर मजाक में लेकर नया विवाद पैदा कर दिया है। कुछ दिन पहले भाजपा नेता बाबू लाल गौड़ के एक बेतुके बयान को लेकर काफी हंगामा हुआ।
व्यापम घोटाले में एक के बाद एक मौत से बेचैनी

 

टीवी पत्रकार अक्षय सिंह को लेकर जब मीडिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रतिक्रिया पूछी, तो वहां मौजूद विजयवर्गीय ने कहा, पत्रकार-वत्रकार छोड़ो। आज हम से बड़ा पत्रकार है क्या?  दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी डॉ. हितेष वाजपेयी ने विजय विजयवर्गीय की ओर से लिखित बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा है, युवा पत्रकार साथी अक्षय जी की असामयिक मृत्यु बेहद दुखद व वेदना से भरी है। पत्रकार बंधु आलोचनाओं-प्रत्यालोचनाओं को सहते हुए किस तरह जीवटता से अपने काम को अंजाम देते है, यह मुझसे अधिक भला कौन जान सकता है। उनकी भावनाओं से मेरा जुड़ाव रहा है। यह मध्यप्रदेश और देश के मेरे करीबी मित्र पत्रकार साथी अच्छए से जानते है। विजयवर्गीय ने कहा, परसों रात को अनौपचारिक बातचीत के दौरान मीडिया के एक साथी ने मुझसे कहा, जिसे मैनें अनौपचारिक अंदाज में टाल दिया था। इस ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत को जिस तरह से सनसनीखेज बनाकर प्रचारित किया जा रहा है, उससे मुझे बेहद पीड़ा हुई है।

 

विजयवर्गीय कुछ भी कहें लेकिन व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की जिस प्रकार मौत हो रही है, उससे सभी हैरान हैं। लोग बेचैन हो रहे हैं। व्यापम एक ऐसा रहस्मयी घोटाला है जिसमें एक के बाद एक मौत हो रही है। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर कहा कि ‘ दुर्घटना,आत्महत्या, शराब पीने से मौत, दवाई का रिएक्शन, अनजान कारण, छाती में दर्द, क्या ये सब प्राकृतिक मौते हैं? ’

 

वंदना झा ने लिखा कि अभी दो दिन पहले ही मैंने ट्वीट किया था और इसी ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकार #akshaysingh कलयुग की भेंट चढ़ गए। पवन के.श्रीवास्तव ने फेसबुक पर लिखा कि ‘ मुझे यह बात बहुत बेचैन कर रही हैं कि इतने लोगो के मरने के बाद भी क्यों भोपाल की सड़के शांत हैं । क्यों नहीं वहां व्यापम को लेकर कोई प्रतिरोध दिख रहा हैं ? हम खामोश क्यों हैं ? शिवराज सिंह कैसे चैन की नींद सो पा रहे हैं, कोई उनको जगाता क्यों नहीं हैं ? दोस्तों कुछ हंगामा करो, वर्ना ऐसे तो जिया नहीं जाएगा । ऐसी आवाज करो की जो लोग सो रहे हैं उन्हें हमारे जिंदा होने का अहसास हो। ’

 

अक्षय की मौत पर उनके दोस्त दीपक शर्मा ने लिखा कि ‘ अक्षय मेरा कितना करीबी था ये मुझे बताने कि ज़रुरत नही। मुझे कुछ लिखने की भी ज़रुरत नही है। कल इस दीवार पर कुछ शब्द इसीलिए उकेरे थे कि आप लोगों से दो ज़रूरी बातें कह सकूं पहली थी अक्षय की अंतिम यात्रा में शामिल होने की सूचना और दूसरा परिवार के लिए नई जीविका तलाशने के रास्ते।

 

आज कुछ लिखना नही चाहता हूं। लोग दूसरे का घर जलता हुआ देखकर भावुक हो सकते हैं और लिख सकते हैं लेकिन अगर अपना सा ही घर जल गया हो तो कोई क्या लिखेगा ? कल लिखना मजबूरी थी क्यूंकि दुनिया को बताना था कि ये लड़का भीतर से क्या था.? क्या संस्कार थे ? मां और बहन के लिए कितना मर्म था उसमे ? ये मुझे बताना था और फिर दो सूचनाए भी देनी थी।

 

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